सोलह सोमवार व्रत सामग्री ,व्रत कथा, आरती और संपूर्ण पूजा विधि | Solah Somwar Vrat samagri

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सोलह सोमवार व्रत सामग्री | Solah Somwar Vrat samagri : नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका आज के इस लेख में आज इस लेख के माध्यम से हम आप लोगों को सोलह सोमवार व्रत सामग्री के विषय में बताएंगे इसके अलावा यह भी बताएंगे कि सोलह सोमवार व्रत क्यों किया जाता है इस व्रत को कब करना चाहिए और यह भी बताएंगे कि इस व्रत को करने के लिए कौन सी सामग्री की आवश्यक होती है .

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इसके साथ ही साथ आप लोगों को यह भी बताएंगे कि सोलह सोमवार व्रत में किस विधि द्वारा पूजा की जाती है इस व्रत की कथा क्या है और इस व्रत से होने वाले लाभ क्या है इस सब के विषय में इस लेख में विस्तार से आप लोगों को बताएंगे. यदि आप सोलह सोमवार व्रत के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं और इस व्रत को रखना चाहते हैं तो हमारे द्वारा दिए गए इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें.

सोलह सोमवार व्रत क्यों किया जाता है ? | Solah Somwar Vrat Kyon Kiya jata hai ?

सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है भगवान भोलेनाथ को शिव शंकर भोले आदि नामों से जाना जाता है पुराणों के अनुसार माना जाता है कि माता पार्वती ने भोलेनाथ को पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत किया था और माता पार्वती ने सती के दूसरे रूप में जन्म लिया था और माता पार्वती जी ने भगवान शिव जी को प्रत्येक जन्म मैं अपना पति बनाने दृढ़ निश्चय लिया था.

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और इसीलिए उन्होंने सोलह सोमवार व्रत को किया था और एक बार फिर उन्होंने भगवान शिव जी को अपने जीवनसाथी के रूप में प्राप्त कर लिया जिससे उनका जीवन खुशियों से भर गया यही कारण है कि आज भी स्त्रियां सोलह सोमवार का व्रत पूरी आस्था के साथ रखती हैं.

सोलह सोमवार व्रत उन व्यक्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जो अपने विवाहित जीवन में परेशानियों का सामना कर रहे हैं यह व्रत विशेष रूप से सुयोग्य और अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए किया जाता है धार्मिक मान्यता है कि जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रखती  हैं उसकी विवाहित जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

सोलह सोमवार व्रत कब करना चाहिए ? | Solah Somvar Vrat kab karna chahiye ?

शास्त्रों में बताया गया है कि सावन का महीना भगवान शिव जी को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा महीना माना जाता है इस महीने में भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए अनेक व्रत किए जाते हैं इसलिए सोलह सोमवार व्रत को जहां तक हो सके श्रावण माह से ही शुरू करना चाहिए और लगातार सोलह सोमवार तक इस व्रत को रखना चाहिए.

यदि आप किसी विशेष कारण से व्रत करने में असमर्थ है तो उस सोमवार को व्रत नहीं रखना चाहिए और अगले सोमवार से पुनः व्रत शुरु कर देना चाहिए.

सोलह सोमवार व्रत सामग्री | Solah Somwar Vrat samagri

सोलह सोमवार व्रत की पूजा करने के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है क्योंकि शास्त्रों में विधिवत की गई पूजा ही सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है यहां हम आपको सोलह सोमवार व्रत सामग्री के विषय में बताने जा रहे हैं.

  • शिव जी की मूर्ति
  • बेलपत्र
  • भांग
  • धूप
  • अगरबत्ती
  • जल
  • दीपक
  • आरती के लिए थाली
  • रोली
  • चंदन
  • इत्र
  • अष्टगंध
  • पान का पत्ता
  • सुपारी
  •  अक्षत
  • फूल
  • सफेद वस्त्र
  • फल
  • मिष्ठान

सोलह सोमवार व्रत पूजा विधि | Solah Somwar Vrat Puja Vidhi

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  1. सोमवार के दिन सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा के लिए तैयार हो जाए यदि आप से हो सके तो सफेद वस्त्र पहने क्योंकि सफेद वस्त्र भगवान शिव जी को बहुत ही प्रिय होते हैं.
  2. यदि आप घर पर ही सोमवार व्रत की पूजा करना चाहते हैं तो चौकी पर भगवान शिव जी की मूर्ति को स्थापित कर दे.
  3. अब आप सबसे पहले भगवान शिव जी को गंगाजल से स्नान कराएं.
  4. स्नान कराने के पश्चात शिव जी के समक्ष एक दीपक प्रज्वलित करें और उसके साथ अगरबत्ती और धूपबत्ती को भी जलाएं.
  5. अब भगवान शिव जी को रोली से टीका लगाएं.
  6. इसके पश्चात भगवान शिव जी को बेलपत्र ,, भांग, इत्र ,अष्टगंध, अक्षत, सुपारी आदि अर्पित करें.
  7. अब एक थाल में दीपक प्रज्वलित कर भगवान शिव जी की आरती करें.
  8. भगवान शिवजी की आरती करने के पश्चात उन्हें फूल और फल अर्पित करें.
  9. तत्पश्चात भगवान शिव जी को मिठाई से भोग लगाएं और आपसे जितनी हो सके वह दक्षिणा भी चढ़ाएं.
  10. अब भगवान शिव जी के सामने हाथ जोड़कर आपके मन में जो भी विचार हो उसे भगवान शिवजी से कहें.

सोलह सोमवार व्रत आरती | Solah Somwar Vrat Aarti

|| जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रम्हा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा||

एकानन, चतुरानन, पंचानन राजै |
हंसानन , गरुड़ासन, वृषवाहन साजै॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

दो भुज चार चतुर्भज दस भुज अति सोहै |
तीनों रुप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

अक्षमाला, वनमाला ,मुण्डमाला धारी |
चंदन, मृगमद चंदा सोहै, त्रिपुरारी ॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

श्वेताम्बर, पीताम्बर, बाघाम्बर अंगे।
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगे॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

कर मध्ये कमण्डलु, चक्र त्रिशूलधारी |
सुखकारी दुखहारी जगपालनकारी ॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे |
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥

|| ॐ जय शिव ओंकारा……||

सोलह सोमवार व्रत कथा | Solah Somwar vrat katha

एक समय की बात है किसी नगर में एक साहूकार रहता था उसके पास धन धन की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह संतान के सुख से वंचित था इसीलिए वह शिव मंदिर में जाकर पूरी श्रद्धा के साथ सोलह सोमवार व्रत रखकर भगवान शिव और पार्वती जी की पूजा करता था माता पार्वती के आग्रह करने पर शिवजी ने साहूकार को पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया

और साहूकार को यह भी बताया कि उसके की आयु की  12 वर्ष की ही होगी लेकिन साहूकार को ना इस बात का दुख था और ना ही खुशी थी वह पहले की तरह ही भगवान शिवजी की पूजा करता रहा कुछ समय बाद शिव जी की कृपा से साहूकार के यहां 1 पुत्र का जन्म हुआ जब उसकी आयु 11 वर्ष की हो गई तो उसे पढ़ने के लिए उसके मामा के साथ काफी भेज दिया गया

साहूकार ने अपने पुत्र के मामा को बहुत सारा धन दिया और उनसे कहा कि मार्ग में यज्ञ कराना ब्रह्मणों को भोजन कराना और लोगों को दक्षिणा देते हुए जाना दोनों साहूकार द्वारा बताए गए नियमों का पालन करते हुए जा रहे थे रात में रास्ते में एक नगर पड़ा नगर मैं राजा की कन्या का विवाह हो रहा था और जिस राजकुमार से उसका विवाह हो रहा था वह एक आंख से काना था.

राजा ने अपने पुत्र की इस बात को छुपाने के लिए एक योजना शोची उसने साहूकार के पुत्र को देखा और सोचा कि इस लड़के को दूल्हा बनाकर राजकुमारी के साथ इसका विवाह करा दूं और  विवाह के पश्चात उसे धन देकर भेज दूंगा और राजकुमारी को अपने घर ले जाऊंगा उसने साहूकार के पुत्र को दूल्हे के वस्त्र पहना कर उसका विवाह राजकुमारी के साथ करा दिया.

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लेकिन साहूकार का पुत्र न्यायसंगत था उसे यह बात ठीक नहीं लगी उसने मौका पाकर राजकुमारी की चुनरी में लिख दिया कि उसका विवाह जिस राजकुमार से होना था वह तो काना है और उसका विवाह मेरे साथ हुआ है मैं काशी पढ़ने जा रहा था जब यह बात राजकुमारी के घर के सदस्यों को पता चली तो राजकुमारी के पिता ने उसे विदा नहीं किया जिससे बारात वापस चली गई.

दूसरी तरफ साहूकार के पुत्र अपने मामा के साथ काशी पहुंच गए वहां जाकर उन्होंने यज्ञ करने के लिए वही दिन चुना जिस दिन साहूकार के पुत्र की आयु 12 वर्ष पूर्ण हो लड़के ने मामा से बोला कि मामा मेरी तबीयत मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही है मामा ने कहा ठीक है तुम अंदर जाकर के सो जाओ शिवजी ने वरदान में साहूकार के पुत्र की आयु 12 वर्ष ही दी थी इसलिए उसकी मृत्यु हो जाती है.

अपने भांजे को मृत देखकर मामा ने विलाप शुरू किया उसी समय शिवजी और पार्वती उसी रास्ते से जा रहे होते हैं जब पार्वती जी ने उनके रोने की आवाज सुनी तो उन्होंने कहा कि आप इनके दुखों को दूर कर दीजिए जब शिवजी उसके पास गए तो उन्होंने देखा कि वह वही साहूकार का पुत्र है जिसे उन्होंने 12 वर्ष तक जीवित रहने का आशीर्वाद दिया था शिव जी बोले इसकी आयु पूरी हो चुकी है.

लेकिन माता पार्वती ने शिव जी से कहा कि आप इसे जीवनदान दीजिए नहीं तो इसके माता-पिता इसके वियोग में तड़प तड़प कर अपनी जान दे देंगे माता पार्वती के आग्रह पर शिवजी ने उसके जीवित होने का वरदान दिया शिव जी के वरदान से वह जीवित हो गया इस प्रकार साहूकार की सोलह सोमवार व्रत की तपस्या सफल हो गई.

सोलह सोमवार व्रत से लाभ | Solah Somwar Vrat se Labh

  1. सोलह सोमवार व्रत रखने से व्यक्ति की विवाहित जीवन की परेशानियां दूर हो जाती  हैं जो व्यक्ति संतान प्राप्ति के लिए परेशान होते हैं उन्हें संतान की प्राप्ति होती है.
  2. इस व्रत को रखने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और धन-धान्य की कमी नहीं रहती.
  3. यदि हम इस व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रखते हैं तो हमारे घर का पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाता है और परिवार में सुख शांति का माहौल बना रहता है.
  4. माना जाता है कि यदि इस व्रत को कुंवारी कन्या रखती  हैं तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिलता है.
  5. जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूर्ण निष्ठा के साथ रखता है उसके ऊपर कभी भी ऊपरी हवा का साया नहीं पड़ता है.

FAQ: सोलह सोमवार व्रत सामग्री

सोलह सोमवार व्रत में नमक खाना चाहिए ?

सोलह सोमवार व्रत में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए लेकिन बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो नमक के बिना कुछ भी खाना पसंद नहीं करते इसलिए शास्त्रों में वैसे व्यक्तियों के लिए सांधे नमक का प्रयोग करना उचित बताया गया है

सोलह सोमवार व्रत में क्या नहीं करना चाहिए ?

सोलह सोमवार व्रत में भूलकर भी अन्य ग्रहण नहीं करना चाहिए और इस व्रत को सोलह सोमवार तक पूर्ण श्रद्धा भाव के साथ पूरा करना चाहिए यदि आप किसी वजह से असमर्थ हो तो अगले सोमवार से व्रत करें

सोलह सोमवार व्रत कब खोला जाता है ?

जहां तक सोलह सोमवार व्रत खोलने की बात है तो सोलह सोमवार व्रत निर्जला नहीं होता है इस व्रत में सभी व्यक्ति माता पार्वती और शिव जी की पूजा करने के बाद फलाहार द्वारा इस व्रत को तोड़ देते हैं और 16 सोमवार व्रत सावन के महीने में विशिष्ट रूप से किया जाता है

निष्कर्ष

दोस्तों आज इस लेख के माध्यम से हमने आप लोगों को बताया है कि सोलह सोमवार व्रत क्यों किया जाता है इस व्रत को कब किया जाता है और इसके अलावा या भी बताया है कि सोलह सोमवार व्रत सामग्री क्या है इस व्रत को करने की विधि क्या है.

और इस लेख में हमने आप लोगों को सोलह सोमवार व्रत की आरती और कथा के विषय मैं भी बताया है और साथ में यह भी बताया है कि सोलह सोमवार व्रत रखने से क्या लाभ होता हैं इसके विषय की हमने आपको संपूर्ण जानकारी प्रदान की है हम उम्मीद करते हैं कि हमारे द्वारा दी गई जानकारी आप लोगों को पसंद आई होगी और निश्चित ही आप लोगों के लिए उपयोगी साबित होगी.

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