Kya swarg aur nark hota hai ? दुनिया के सभी देशों में विभिन्न धर्मों के मानने वाले लोग हैं और उन लोगों में स्वर्ग और नर्क Air and hell के विकल्प पर कुछ न कुछ धर्म ग्रंथों में पढ़ाया लिखा गया है सभी धर्म और मजहब को मानने वाले लोगों में एक विश्वास है कि इस जीवन में कुछ इस तरह से किया जाए किसी लक्ष्य की प्राप्ति हो सके |
उनका विश्वास है कि पूर्व जन्म में कुछ गलत कार्य हुए होंगे जिसकी वजह से सुख शांति Happiness peace और आनंद में जीवन व्यतीत नहीं हो पा रहा है अतः इस जीवन में कुछ ऐसा करें किस सुख शांति और स्वर्ग की अनुभूति प्राप्त हो सके |
मरने वाला हर व्यक्ति स्वर्ग की प्राप्ति के लिए अपनी विभिन्न प्रकार की इच्छाओं का दमन कर देता है स्वर्ग की प्राप्ति करने के लिए तमाम तरह के धार्मिक कार्य करता है दान दक्षिणा देता है मन में किसी भी प्रकार की शंका समाधान के लिए विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करता है |
लोगों का मानना है कि धर्म ग्रंथों में लिखा गया है कि स्वर्ग मरने के बाद उन्हीं लोगों को प्राप्त होता है जो पुण्य कर्म करते हैं यदि कोई व्यक्ति पाप करता है तो वह दुख भोगता है क्या यह सच है अथवा झूठ है ।
सभी धर्म के धर्म ग्रंथों Religious texts और लोगों के द्वारा यह कहा जाता है कि जो आत्माएं अच्छी होती हैं उनको स्वर्ग की प्राप्ति होती है नर्क उन्हीं लोगों को मिलता है जो बुरी आत्मा होती हैं मान्यता है कि जो लोग पाप करते हैं किसी को कष्ट देते हैं ऐसे लोग नर्क में यातनाएं देने के लिए ईश्वर God भेज देता है उसी स्थान पर पुण्य आत्माओं को ईश्वर स्वर्ग में सुख भोगने के लिए स्थान देता है |
धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि मृत्यु के बाद मृत्यु के देवता यमराज अपने मंत्री चित्रगुप्त को आत्मा लाने के लिए भेजते हैं और उसको यमदूत लेकर जाते हैं तो उसके कर्मों का हिसाब यमराज करते हैं , उसे स्वर्ग और नर्क का रास्ता तय करते हैं जो आत्माएं बुरी होती है उन्हें यमराज नर्क भेज देते हैं और दंड देते हैं वही अच्छी आत्माओं को स्वर्ग में स्थान देकर उन्हें अच्छा स्थान प्राप्त कर देते हैं उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं |
धर्म एक मानव के लिए कर्म करने के लिए प्रेरित करता है धर्म को जिंदा रखने के लिए तथा उसकी नैतिकता को कायम करने के लिए गरुण पुराण के अनुसार तीन आधार माने जाते हैं :
- 1. पहला आधार ईश्वर है : The first premise is God :
- 2. दूसरा आधार क्या स्वर्ग नर्क है ? Second base is heaven and hell :
- 3. तीसरा आधार धार्मिक फायदा होता है : Third premise is religious advantage :
- 4. स्वर्ग और नर्क क्या है ? heaven and hell
- 5. स्वर्ग और नर्क कहां पर है ? Where is heaven and hell :
- 6. क्या विभिन्न धर्मों के लिए स्वर्ग और नर्क अलग-अलग है ?
- 7. स्वर्ग नर्क की वास्तविकता क्या है ? of heaven and hell
- 8. स्वर्ग नरक वास्तव में क्यों बताया गया ?
पहला आधार ईश्वर है : The first premise is God :
धर्म को जिंदा रखने के लिए ईश्वर की कल्पना की गई है मनुष्य में नैतिकता और संस्कार को कायम रखने के लिए ईश्वर के प्रति प्रेरित किया जाता है ऐसा कहा जाता है कि ईश्वर इस दुनिया का संचालक है उसकी मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं होता है।
दूसरा आधार क्या स्वर्ग नर्क है ? Second base is heaven and hell :
धर्म को जिंदा बनाए रखने के लिए लोगों को स्वर्ग और नर्क की कल्पना का सहारा लिया जाता है अर्थात लोगों को यह बताया गया है कि जो लोग अच्छे कर्म करेंगे उन्हें स्वर्ग मिलता है और बुरे कर्म वाले लोगों को नर्क का द्वार खुलता है इन्हीं डर के कारण व्यक्ति के अंदर धर्म के प्रति आस्था होती है और उसी के अनुसार कार्य करता है।
तीसरा आधार धार्मिक फायदा होता है : Third premise is religious advantage :
धर्म को बचाए रखने के लिए लोगों के अंदर धार्मिक फायदों को बताया जाता है इसके लिए आदिकाल से मनुष्य को कुछ डर और लालच दिया गया जिससे परिवार का और समाज का ढांचा बना लोगों ने ईश्वर और नर्क का लालच दिया वही स्वर्ग की अप्सरा ओं का आनंद का वर्णन किया गया |
स्वर्ग नर्क और ईश्वर से डराकर धार्मिक नियम बनाए गए इसे धार्मिक फायदा माना जाता है परंतु वेद इन सभी तथ्यों के विपरीत मान्यता करता है वह ऐसी कपोल कल्पित बातों में विश्वास नहीं करता है।
वेद कहते हैं कि व्यक्ति अपने कर्म भाव और विचार से सद्गति और दुर्गति को प्राप्त होता है जो व्यक्ति जैसे कर्म करता है उसको उस प्रकार की गति अंत में प्राप्त होती है वेद कहता है कि यदि आप अच्छी गति और स्थिति में रहते हैं तो आप स्वयं स्वर्ग में हैं और यदि बुरी गति या स्थिति में रहते हैं तो आप नर्क में होते हैं। आदमी की प्रगति ही उसका स्वर्ग और नर्क है।
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स्वर्ग और नर्क क्या है ? heaven and hell
धार्मिक विश्वास करने वाले लोगों ने अपनी कल्पना से स्वर्ग को बड़े ही विस्तार रूप से लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है स्वर्ग में कौन-कौन सी सुविधाएं और कष्ट आदि उपस्थित होते हैं इन चीजों का वर्णन बड़ी ही चतुर ता के साथ किया है लोगों ने स्वर्ग में ईश्वर की कल्पना की है जिसके अंतर्गत इंद्र वरुण सूर्य चंद्र ब्रह्मा विष्णु महेश जैसे देवी देवताओं की उपस्थिति होना बताया है |
इसके अलावा पृथ्वी पर बहुत सारी पुण्य आत्माओं के विषय में भी बड़ी ही चतुर ता के साथ बताया गया है देवता और पुण्य आत्माएं स्वर्ग में आनंद और सुख का भोग करते हैं साथ ही विभिन्न प्रकार की अप्सराओं का नृत्य देखने को मिलता है इस प्रकार की कल्पनाओं से परिपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हमें धर्म की ओर प्रेरित करते हैं और स्वर्ग नर्ग की व्याख्या स्पष्ट करते हैं |
इसके विपरीत यह कहा जाता है कि जो बुरी आत्माएं हैं वह विभिन्न प्रकार की यात्राओं को सहते हैं कहा जाता है कि जो लोग पाप करते हैं उन्हें गर्म तेल की कढ़ाई में डाल दिया जाता है जिससे वह चिल्लाते रहते हैं इस प्रकार के वर्णन हमारी आंखों के सामने हमें स्वर्ग और नरक की कल्पना के लिए प्रेरित करते हैं |
स्वर्ग और नर्क कहां पर है ? Where is heaven and hell :
धार्मिक मान्यताओं के आधार पर कहा जाता है कि आसमान में स्वर्ग है तथा धरातल में नर्क है परंतु वैज्ञानिक आधारों पर इसे सिद्ध नहीं किया जा सकता है क्योंकि आज विज्ञान ने नासा जैसी संस्थाओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार के उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे हैं जो लाखों-करोड़ों किलोमीटर दूर यात्रा करते हैं |
परंतु उन्हें कहीं स्वर्ग नहीं मिलता है तथा इसके विपरीत जमीन के अंदर समुद्र के अंदर सैकड़ों खुदाई करने पर आज तक कहीं नर्क नहीं मिला है आखिर क्यों ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ग ऊपर है और नर्क नीचे है यदि ऐसा है तो इसरो और नासा जैसी संस्थाएं स्वर्ग नरक क्यों नहीं ढूंढ पाती है |
क्या विभिन्न धर्मों के लिए स्वर्ग और नर्क अलग-अलग है ?
दुनिया में तमाम तरह के धर्म और मजहब को मानने वाले लोग हैं तो सवाल है कि क्या विभिन्न धर्म और मजहब को मानने वाले लोगों के लिए स्वर्ग और नरक अलग-अलग हैं |
हिंदू धर्म में स्वर्ग की कल्पना में कहा जाता है कि देवता गण मदिरापान करते हैं सभागार में अप्सराओं के नृत्य को देखते हैं यदि ऐसा है तो अन्य धर्मों के मानने वाले लोगों के देवी देवता उस जगह पर क्यों नहीं हैं।
मुस्लिमों में स्वर्ग को जन्नत कहा जाता है जहां पर अलग-अलग पैगंबर रहते हैं तो यह स्वर्ग अलग कैसे हो गया वही जैन धर्म में स्वर्ग का हवाई चित्र बनाया गया है जिसे 24 तीर्थंकरों के मकान बने हुए दिखाए जाते हैं पर उनमें कृष्ण बुद्ध ईसा मसीह का घर नहीं होता है |
ऐसे में कहा जा सकता है कि क्या सभी धर्मों में स्वर्ग और नर्क अलग-अलग हैं क्या स्वर्ग में भी विभिन्न धर्मों के लिए देवताओं में युद्ध होता है अगर ऐसा है तो यह हम निश्चित कह सकते हैं कि कहीं स्वर्ग नहीं है बल्कि यह एक कपोल कल्पित कल्पना मात्र है।
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स्वर्ग नर्क की वास्तविकता क्या है ? of heaven and hell
हिंदू धर्म के महा ग्रंथ गीता ने श्री कृष्ण ने कहा है कि आत्मा को ना पानी में डूबा या जा सकता है ना हवा में उड़ सकती है ना अग्नि में जल सकती है तो ज़रा आप सोचिए स्वर्ग या नरक में आत्माओं को किस प्रकार से सजा या सुख की कल्पना की जाती है |
जबकि शरीर यहीं पर जला दिया जाता है और आत्मा पर हवा पानी आग का कोई असर नहीं है तो नर्क में यातनाएं कैसे देंगे किसे देंगे इन्हीं बातों से स्पष्ट होता है कि दुनिया में कहीं पर भी स्वर्ग और नर्क नहीं है बल्कि यह एक कल्पना मात्र है।
व्यक्ति की प्रवृत्ति उसे स्वर्ग और नर्क की अनुभूत करा देती है अर्थात जो व्यक्ति इस दुनिया में अमन चैन की जिंदगी जीता है उसे सुख-समृद्धि प्राप्त है तो उसे स्वर्ग जैसी व्यवस्था मिल जाती है इसे ही हम स्वर्ग कह सकते हैं परंतु इसके विपरीत जिन व्यक्तियों का जीवन कष्ट ने गुजर रहा है वह उनके लिए एक प्रकार का नर्क ही है |
अर्थात इस धरातल पर स्वर्ग नरक मानव के कर्म पर आधारित होता है यह धरती ही जहां पर हम निवास कर रहे हैं और जिस प्रकार की जिंदगी जी रहे हैं वह हमारे लिए एक प्रकार का स्वर्ग और नर्क है |
सही मायने में देखा जाए तो स्वर्ग हमारे मन में है स्वर्ग हमारी आकांक्षाओं का सबूत होता है ऐसा नहीं है कि जो बातें हम धरती पर इंसान करना चाहता है लेकिन नहीं कर पाता है उन बातों को हम स्वर्ग में कर सकने का केवल सपना देखते हैं।
इस स्वर्ग नर्क के चक्कर में इंसान जीवन भर आराम से बैठकर नहीं खा पाता है वह जीवन का आनंद नहीं ले पाता है जिन चीजों को हम स्वर्ग में पाने की कल्पना करते हैं वह वास्तव में इस धरती पर उपस्थित हैं फर्क इतना पड़ता है कि आप किस परिवेश में जी रहे हैं |
इसलिए बहुत से लोग डांस बार में जाना मदिरापान करना जैसी चीजों को बुरा मानते हैं और उन्हें ईश्वर से डरने का आरोप लगाते हैं जिससे वह स्वर्ग की कल्पना कर सके परंतु ऐसा कुछ भी नहीं है आज दुनिया में जो कुछ हम चाहते हैं वह कर लें यही हमारे लिए स्वर्ग है
स्वर्ग नरक वास्तव में क्यों बताया गया ?
दरअसल सही मायने में देखा जाए तो लोगों को स्वर्ग और नर्क के बीच भेद कराने के पीछे केवल उन्हें सत मार्ग पर लाना होता है अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में गलत रास्तों पर चल पड़ा है तो उसे अच्छी राहों पर लाने के लिए स्वर्ग और नर्क का वास्ता दिया जाता है स्वर्ग और नर्क के डर से लोग अच्छे मार्ग पर चलने लगते हैं यह वास्तव में धार्मिक लोगों के लिए धर्म धंधा हो गया है |
इसके अलावा धर्म परायण लोग ना तो स्वर्ग में रह कर आए हैं और ना उसके विषय में कुछ जानते हैं केवल लोगों को डरा कर अपना धार्मिक धंधा करते हैं यदि कोई भी धार्मिक व्यक्ति इस बात पर जोर देता है कि मरने के बाद तुम्हें स्वर्ग या नरक मिलेगा तो यह एक प्रकार की बेमानी है क्योंकि स्वर्ग का विश्वसनीय प्रमाण हमारे पास मौजूद नहीं है |
विज्ञान कहता है कि मरने के बाद आत्मा कहां जाती है इसका कुछ पता नहीं है इसलिए स्वर्ग नर्क की कल्पना एक व्यर्थ और बेकार की विचारधारा है।
इस लेख को लिखने के पीछे हमारा यह उद्देश्य नहीं है कि आपको धार्मिक अवधारणाओं से विरक्त किया जाए बल्कि जो लोग जिस मार्ग पर चल रहे हैं वह उनके लिए अच्छा है हमें किसी की आत्मा को ठेस पहुंचाना नहीं है। बस इतना ही हम कह सकते हैं कि व्यक्ति के कर्म ही और उनका भोग ही स्वर्ग और नर्क है।