अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है | Ultrasound me plus minus kaha likha hota hai : दोस्तों हमारे पेट में जब भी कोई समस्या होती है तो इलाज के दौरान ज्यादातर डॉक्टर अल्ट्रासाउंड कराने के लिए लिख देते हैं क्योंकि अल्ट्रासाउंड से ही हमारे शरीर के अंदर की कई समस्याओं की जानकारी होती है।
गर्भवती महिलाओं का आज के दौर में अल्ट्रासाउंड जरूर करवाया जाता है जिससे पेट में पल रहे बच्चे की स्थिति की जानकारी हो जाती है। अल्ट्रासाउंड बहुत सी समस्याओं को पता करने के लिए किया जाता है जिसमें सबसे ज्यादा गर्भाशय में शिशु या बच्चे की स्थित देखने के लिए गर्भवती महिलाओं का अल्ट्रासाउंड कराया जाता है।
क्या आप ultrasound की जांच में कहां पर क्या स्थिति है, जानना चाहते हैं कि अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है ?, उसकी तस्वीरें क्या कहती हैं ?, अल्ट्रासाउंड में फीचर्स को कैसे पहचान करें? तो चलिए हम अपने आर्टिकल में आपको अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है. इस विषय पर जानकारी देते हैं।
- 1. अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है ? | Ultrasound me plus minus kaha likha hota hai ?
- 2. अल्ट्रासाउंड में लड़का और लड़की होने के लक्षण | Ultrasound me ladka aur ladki hone ke lakshan
- 2.1. 1. गर्भस्थ भ्रूण सिर का आकार
- 2.2. 2. नब लिंग परीक्षण
- 2.3. 3. टर्टल या हैमबर्गर
- 2.4. 4. दिल की धड़कन
- 2.5. 5. एरेटिक पेनिस
- 3. FAQ : अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है ?
- 3.1. अगर गर्भ में लड़की है तो क्या खाने का मन करता है ?
- 3.2. गर्भ में लड़के की हार्टबीट कितनी होती हैं ?
- 3.3. अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस का क्या मतलब है ?
- 4. निष्कर्ष
अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है ? | Ultrasound me plus minus kaha likha hota hai ?
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को पढ़ना काफी कठिन होता है क्योंकि सामान्य व्यक्ति इसके बारे में नहीं जानता है केवल डॉक्टर ही अच्छे से आपको अल्ट्रासाउंड के बारे में बता सकते हैं। अगर आप एक महिला हैं और आप ऐसे समय में अल्ट्रासाउंड कराने जा रही हैं जब आप मां बनने वाली हैं या कोई पुरुष भविष्य में पिता बनने वाला है।
एक दंपत्ति अगर अल्ट्रासाउंड कराने के बाद यह जानना चाहते हैं कि गर्भ में पलने वाला शिशु लड़का है या लड़की तो हम आपको कुछ ऐसे सामान्य से लक्षणों के बारे में बताएंगे जो लड़का और लड़की होने के प्रमाण देते हैं क्योंकि ज्यादातर लड़का और लड़की होने की संभावनाएं प्लस और माइनस पर निर्भर होती है।
एक गर्भवती महिला के बच्चे का विकास 3 महीने के बाद शुरू होता है. 3 महीने के बाद अल्ट्रासाउंड जांच कराने पर बच्चे के स्वास्थ्य और विकास के बारे में पता हो जाता है। इसीलिए प्रत्येक गर्भवती महिला को 3 महीने के बाद अल्ट्रासाउंड कराने के लिए डॉक्टर कहते हैं।
अल्ट्रासाउंड कराने के बाद कई बातों का पता चल जाता है ज्यादातर लोग लिंग की पहचान करने की कोशिश करते हैं लेकिन पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि उन्हें अल्ट्रासाउंड के बारे में पता नहीं होता है फिर भी हम यहां पर जो लक्षण दे रहे हैं उनसे आप लड़का और लड़की की पहचान आसानी से कर सकते हैं।
दोस्तों भारत में लिंग जांच कानूनी अपराध है जिसकी वजह से अल्ट्रासाउंड कराने के बाद डॉक्टर किसी भी प्रकार से लड़का और लड़की होने के संकेतों को प्रदर्शित नहीं करते हैं ऐसे में आप अल्ट्रासाउंड में प्लस या माइनस जैसे संकेत को नहीं देख सकते हैं। यदि आप लिंग जांच कराते पाये जाते है तो आप को जेल भी हो सकती है इसलिए इस से दूर रहे .
अल्ट्रासाउंड में लड़का और लड़की होने के लक्षण | Ultrasound me ladka aur ladki hone ke lakshan
यह एक मिथ्या भ्रम है की अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है क्योंकि अगर डॉक्टर प्लस और माइनस लिख भी दे तो भी यह आवश्यक नहीं है कि इस प्रकार के संकेत लड़का और लड़की होने की सही प्रमाणिकता दे सकें।
इसके अलावा आप अन्य कुछ लक्षण देखकर यह समझ सकते हैं कि होने वाली संतान लड़का है या लड़की। सामान्य तौर पर यह लक्षण लड़का और लड़की होने की प्रामाणिकता सिद्ध कर देते हैं लेकिन 100% सही नहीं कहा जा सकता है।
लड़का और लड़की होने के कुछ लक्षण जैसे हृदय की धड़कन बच्चे की पेट में स्थित आदि लड़का और लड़की होने की संभावनाएं व्यक्त करते हैं जो इस प्रकार से हैं।
1. गर्भस्थ भ्रूण सिर का आकार
किसी भी गर्भवती महिला के पेट में पल रहे भ्रूण के लिंग की पहचान तभी की जा सकती है जब भ्रूण 3 महीने से ऊपर हो चुका हो क्योंकि 3 महीने बाद ही लिंग का विकास होता है।
अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में प्लस माइनस जैसे अहम संकेत मायने नहीं रखते हैं क्योंकि कई बार कुछ जानकारी करने के बाद यह सही नहीं हो पाया है कि प्लस माइनस से लड़का और लड़की होगा। लेकिन यह देखा गया है कि गर्भस्थ भ्रूण के सिर का आकार देखकर लड़का और लड़की होने की पहचान की गई है।
2. नब लिंग परीक्षण
3 महीने के बाद भ्रूण के लिंग की जांच अल्ट्रासाउंड के आधार पर स्पष्ट की जा सकती हैं 3 महीने के बाद नब लिंग परीक्षण के द्वारा बच्चे के लिंग की जानकारी हो जाती है अगर इसके पैरों के बीच टिंवकल जननांग मौजूद है तो यह लिंग का निर्धारण करता है।
नव लिंग परीक्षण में अगर नभ का कोण 30 डिग्री से अधिक है तो यह संकेत लड़का होने का होता है और अगर 30 डिग्री से कम हो तो लड़की होने का संकेत होता है। हालांकि अल्ट्रासाउंड की प्रत्येक रिपोर्ट सही साबित होगी यह आवश्यक नहीं है.
3. टर्टल या हैमबर्गर
टर्टल या हैमबर्गर से लड़का और लड़की होने की पहचान होती है इस स्थिति में अगर पैर और हाथ फैली हुई होते हैं और अल्ट्रासाउंड स्कैन में हैमबर्गर की स्थिति इस तरह से दिखाई देती है तो लड़का होने का संकेत मिलता है।
4. दिल की धड़कन
अल्ट्रासाउंड में अगर दिल की धड़कन 140 बीपीएम के नीचे होती है तो लड़का होने की संभावना होती है अगर 140 बीपीएम से अधिक है तो लड़की होने की संभावना मानी जाती है। लेकिन यह जांच 100% सही नहीं मानी जाती है क्योंकि कभी-कभी इसके विपरीत ही शिशु का जन्म होता है।
5. एरेटिक पेनिस
लगभग 5 महीने के आसपास जब अल्ट्रासाउंड किया जाता है तब लिंग की सही जांच होती है इस दौरान गर्भस्थ शिशु के लिंग पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती है लेकिन डॉक्टर इसकी जानकारी नहीं देते हैं
एरेटिक पेनिस जांच में डॉक्टर लड़का और लड़की की स्पष्ट बात कर सकते हैं लेकिन लिंग परीक्षण कानूनी अपराध है इसलिए डॉक्टर स्पष्ट नहीं बताते हैं लेकिन एरेटिक पेनिस की जांच से लड़का और लड़की होने के बाद स्पष्ट हो जाती है।
FAQ : अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है ?
अगर गर्भ में लड़की है तो क्या खाने का मन करता है ?
गर्भ में लड़के की हार्टबीट कितनी होती हैं ?
अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस का क्या मतलब है ?
निष्कर्ष
अत्यधिक भ्रूण हत्या के चलते सरकार ने लिंग जांच पर रोक लगा दी है भविष्य में अल्ट्रासाउंड में प्लस माइनस कहां लिखा होता है यह संकेत आज नहीं दिया जाता है। अधिकांश लोग गर्भ में लड़की होने का पता चलने पर भ्रूण हत्या कर देते हैं इसीलिए आज अल्ट्रासाउंड में बहुत सारी लिंग संबंधी जानकारी छुपा दी जाती है। ऐसे में आप प्लस माइनस जैसी लिंग संबंधी जानकारी नहीं मिल पाती है।