PDF श्री सूक्त संपूर्ण लिखा हुआ : सुख-शांति,धन और एश्वर्य की प्राप्ति के लिए | श्री लक्ष्मीसूक्तम् और उसकी संपूर्ण विधि एवं लाभ PDF Download link | sri suktam sampurn : shri suktam lyrics

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श्री सूक्त संपूर्ण | Shree sookt sampurn : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से श्री सूक्त संपूर्ण के बारे में बताने वाले हैं वैसे तो आप सभी लोग जानते हैं कि सप्ताह के हर दिन किसी ना किसी देवी देवता को समर्पित किए गए हैं.

उसी प्रकार माता लक्ष्मी का दिन शुक्रवार का होता है और माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि माता लक्ष्मी जिस घर में विराजमान होती हैं वहां पर धन्य धान धान्य की कमी नहीं होती है और उसी प्रकार माता लक्ष्मी के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के टोटके तथा उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

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ऐसा कहा गया है कि सच्चे मन से माता लक्ष्मी की पूजा करने से माता लक्ष्मी से हमें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है उसी प्रकार ऐसा कहा जाता है कि श्री सूक्त संपूर्ण पाठ करने से माता लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न हो जाती हैं और उसके घर में विराजमान होती हैं.

इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से श्री सूक्त संपूर्ण पाठ बताने वाले हैं इसके अलावा श्री सूक्त का पाठ करने की विधि , श्री सूक्त पाठ के लाभ बताने वाले हैं अगर आप उन लाभ को जानना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें ताकि आप लोगों को उसके संपूर्ण लाभ के बारे में पता चल सके।

श्री सूक्त संपूर्ण | Shree sookt sampurn | shri suktam lyrics

लक्ष्मी Laxmi

हरिः

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥1॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् ।
श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥3॥
कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥4॥
प्रभासां यशसा लोके देवजुष्टामुदाराम् ।
पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्येऽलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥5॥
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः ।
तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥6॥
उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह ।
प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृद्धिं ददातु मे ॥7॥
क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम् ।
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद गृहात् ॥8॥
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम् ।
ईश्वरींग् सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥9॥
मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥10॥
कर्दमेन प्रजाभूता सम्भव कर्दम ।
श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥11॥
आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस गृहे ।
नि च देवी मातरं श्रियं वासय कुले ॥12॥
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम् ।
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥13॥
आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम् ।
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥14॥
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पूरुषानहम् ॥15॥
यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम् ।
सूक्तं पञ्चदशर्चं च श्रीकामः सततं जपेत् ॥16॥
पद्मानने पद्म ऊरु पद्माक्षी पद्मासम्भवे ।
त्वं मां भजस्व पद्माक्षी येन सौख्यं लभाम्यहम् ॥17॥
अश्वदायि गोदायि धनदायि महाधने ।
धनं मे जुषताम् देवी सर्वकामांश्च देहि मे ॥18॥
पुत्रपौत्र धनं धान्यं हस्त्यश्वादिगवे रथम् ।
प्रजानां भवसि माता आयुष्मन्तं करोतु माम् ॥19॥
धनमग्निर्धनं वायुर्धनं सूर्यो धनं वसुः ।
धनमिन्द्रो बृहस्पतिर्वरुणं धनमश्नुते ॥20॥
वैनतेय सोमं पिब सोमं पिबतु वृत्रहा ।
सोमं धनस्य सोमिनो मह्यं ददातु ॥21॥
न क्रोधो न च मात्सर्य न लोभो नाशुभा मतिः ।
भवन्ति कृतपुण्यानां भक्तानां श्रीसूक्तं जपेत्सदा ॥22॥
वर्षन्तु ते विभावरि दिवो अभ्रस्य विद्युतः ।
रोहन्तु सर्वबीजान्यव ब्रह्म द्विषो जहि ॥23॥
पद्मप्रिये पद्म पद्महस्ते पद्मालये पद्मदलायताक्षि ।
विश्वप्रिये विष्णु मनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व ॥24॥
या सा पद्मासनस्था विपुलकटितटी पद्मपत्रायताक्षी ।
गम्भीरा वर्तनाभिः स्तनभर नमिता शुभ्र वस्त्रोत्तरीया ॥25॥
लक्ष्मीर्दिव्यैर्गजेन्द्रैर्मणिगणखचितैस्स्नापिता हेमकुम्भैः ।
नित्यं सा पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमाङ्गल्ययुक्ता ॥26॥
लक्ष्मीं क्षीरसमुद्र राजतनयां श्रीरङ्गधामेश्वरीम् ।
दासीभूतसमस्त देव वनितां लोकैक दीपांकुराम् ॥27॥
श्रीमन्मन्दकटाक्षलब्ध विभव ब्रह्मेन्द्रगङ्गाधराम् ।
त्वां त्रैलोक्य कुटुम्बिनीं सरसिजां वन्दे मुकुन्दप्रियाम् ॥28॥
सिद्धलक्ष्मीर्मोक्षलक्ष्मीर्जयलक्ष्मीस्सरस्वती ।
श्रीलक्ष्मीर्वरलक्ष्मीश्च प्रसन्ना मम सर्वदा ॥29॥
वरांकुशौ पाशमभीतिमुद्रां करैर्वहन्तीं कमलासनस्थाम् ।
बालार्क कोटि प्रतिभां त्रिणेत्रां भजेहमाद्यां जगदीस्वरीं त्वाम् ॥30॥
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥31॥
सरसिजनिलये सरोजहस्ते धवलतरांशुक गन्धमाल्यशोभे ।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥32॥
विष्णुपत्नीं क्षमां देवीं माधवीं माधवप्रियाम् ।
विष्णोः प्रियसखीं देवीं नमाम्यच्युतवल्लभाम् ॥33॥
महालक्ष्मी च विद्महे विष्णुपत्नीं च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥34॥
श्रीवर्चस्यमायुष्यमारोग्यमाविधात् पवमानं महियते ।
धनं धान्यं पशुं बहुपुत्रलाभं शतसंवत्सरं दीर्घमायुः ॥35॥
ऋणरोगादिदारिद्र्यपापक्षुदपमृत्यवः ।
भयशोकमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा ॥36॥
य एवं वेद ॐ महादेव्यै च विष्णुपत्नीं च धीमहि ।
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥37॥

॥ इति श्रीलक्ष्मी सूक्तम्‌ संपूर्णम्‌ ॥

श्री सूक्त संपूर्ण PDF | Shree sookt sampurn PDF

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श्री सूक्त पाठ करने की विधि | Shree suktam paath karne ki vidhi

लक्ष्मी Laxmi

दोस्तों अगर आप लोग श्री सूक्त संपूर्ण पाठ करने की विधि जानना चाहते हैं तो नीचे हमने आपको उसकी संपूर्ण विधि दी है।

1. दोस्तों अगर आप लोग श्री सूक्त कपाट करना चाहते हैं तो आप इस पाठ को किसी भी दिन कर सकते हैं लेकिन अगर आप इस पाठ को शुक्रवार के दिन करते हैं तो यह और भी अच्छा होता है.

क्योंकि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी को समर्पित किया गया है इस पाठ को करने के लिए आपको सुबह या शाम के समय किसी भी समय करना है अगर आपकी इच्छा है तो आप दोनों समय भी कर सकते हैं।

2. अगर आप श्री सूक्त का पाठ करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले आ स्नानादि से निश्चिंत हो जाना है उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने हैं और अगर आपके पास है तो आप को सफेद वस्त्र धारण करने हैं।

3. स्नान आदि से निश्चिंत होने के बाद आपको पूजा स्थल पर बैठ जाना है और माता लक्ष्मी की मूर्ति अगर आपके पास नहीं है तो आपको अपने घर के मंदिर में आपको माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करना है उसके बाद उनके आगे श्री सूक्त संपूर्ण पाठ शुरू कर देना है.

4. लेकिन पाठ को शुरू करने से पहले आपको माता लक्ष्मी की तस्वीर पर पुष्प अर्पित करने हैं और दीपक जलाकर उनकी पूजा-अर्चना करनी है।

5. उसके बाद ही आपको इस पाठ को शुरू करना है जिस समय आप इसका पाठ कर रहे होते हैं उस समय आपको एक विशेष बात का ध्यान रखना है कि पाठ का उच्चारण सही तरीके से करना है।

6. हमने जो आपको इस की आसान सी विधि बताई है अगर आप इस प्रकार श्री सूक्त संपूर्ण पाठ करते हैं तो आपको इससे अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है तो चलिए अब हम आप लोगों को इसके संपूर्ण लाभ बता देते हैं।

श्री सूक्त पाठ करने के लाभ | Shree suktam paath karne ki labh

लक्ष्मी

 

अगर आप लोग श्री सूक्त संपूर्ण पाठ करने के कुछ लाभ जानना चाहते हैं तो हमने आपको इसके संपूर्ण लाभ नीचे बताए हैं।

1. दोस्तों अगर आप लोग बहुत सारी मेहनत करते हैं और उसके बावजूद भी आपको धन की प्राप्ति नहीं हो पा रही है तो आपको यह मानना होगा कि माता लक्ष्मी की कृपा आप पर नहीं है इस प्रकार अगर आप माता लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करना चाहते हैं.

तो उसके लिए आपको प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के श्री सूक्त संपूर्ण का पाठ नियमित रूप से करना है इसका पाठ करने से आपको शीघ्र ही धन की प्राप्ति होती है और आप आर्थिक तंगी से छुटकारा पा जाते हैं।

2. अगर आप लोग श्री सूक्त संपूर्ण का पाठ करते हैं तो इससे आपको असाध्य रोगों से छुटकारा मिल जाता है और हमेशा हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।

3. दोस्तों अगर आप लोग अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलना चाहते हैं तो उसके लिए आपको श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से आपको माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है

उसी से दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है आपका भाग्य बदलता है और आपके व्यापार में भी आपको सफलता प्राप्त होती है आपकी गरीबी दूर हो जाती है और आपके परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।

4. श्री सूक्त का पाठ अगर आप शुक्रवार के दिन करते हैं तो आपको अवश्य ही माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

5. अगर आप लगातार इस पाठ को करते हैं तो आपको सभी प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

FAQ : श्री सूक्त संपूर्ण

लक्ष्मी माता को कौन सा रंग पसंद है?

हमारे हिंदू धर्म में ऐसा कहा गया है कि माता लक्ष्मी को गुलाबी रंग पसंद है इसीलिए उन्होंने गुलाबी रंग के वस्त्र धारण किए हुए हैं।

श्री सूक्त का पाठ करने से क्या फायदा होता है?

अगर आप लोग यह जानना चाहते हैं कि श्री सूक्त का पाठ करने से लक्ष्मी माता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं लेकिन अगर आप शुक्रवार के दिन पूजा के दौरान श्री सूक्त का पाठ करने से आपको अवश्य ही लाभ प्राप्त होता है और आपके घर में समृद्धि आती है।

श्री सूक्त कितनी बार करना चाहिए?

अगर आप लोग श्री सूक्त का पाठ करना चाहते हैं तो आपको 16 पाठ नित्य प्रतिदिन करने चाहिए या फिर करवाने चाहिए।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से श्री सूक्त संपूर्ण बताया इसके अलावा श्री सूक्त का पाठ करने की विधि और लाभ पाया है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है तो आपको इसकी संपूर्ण जानकारी अवश्य मिल गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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