श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ : प्रणाम गुरुजनों आज हम आप लोगों को श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ बताएंगे अगर आप रोजाना नियमित रूप से इस मंत्र का जाप करते हैं तो आपको काफी प्रकार के लाभ प्राप्त होंगे इस मंत्र का जाप करने से आपके शरीर में एक नई ऊर्जा का संचालन होगा व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होगा और व्यक्ति मानसिक विकारों से दूर हो जाएगा। इस मंत्र के जाप से आपके मन और मस्तिष्क को शांति मिलती है यह मंत्र सभी प्रकार की शक्तियों को प्रदान करता है.
लेकिन आज हम आप लोगों को श्री स्वामी समर्थ के मंत्र जाप लाभ बताएंगे इसीलिए हमारे द्वारा दिए गए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें आज हम आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ बताने वाले हैं और यह भी बताएंगे कि श्री स्वामी समर्थ के विचार कौन-कौन से हैं और इसके अलावा इस टॉपिक से जुड़ी अन्य जानकारी भी देने का प्रयास करेंगे.
तो आप हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें इस मंत्र के बहुत से लाभ हैं अगर आप उन लाभ को उठाना चाहते हैं तो इस मंत्र के बारे में अवश्य जाने। तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं.
- 1. श्री स्वामी समर्थ नाम का अर्थ | Shri swami samarth naam ka arth
- 1.1. 1. श्री
- 1.2. 2. स्वामी – स्वाः + मी
- 1.3. 3. समर्थ
- 2. श्री स्वामी समर्थ कौन थे ? | Shri swami samarth koun the ?
- 3. श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ | Shri swami samarth mantra labh
- 4. श्री स्वामी समर्थ विचार | श्री स्वामी समर्थ सुविचार
- 5. FAQ : श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ
- 5.1. स्वामी समर्थ किसका अवतार है?
- 5.2. स्वामी समर्थ का जन्म कब हुआ था?
- 5.3. स्वामी समर्थ क्यों प्रसिद्ध है?
- 6. निष्कर्ष
श्री स्वामी समर्थ नाम का अर्थ | Shri swami samarth naam ka arth
षडाक्षरी स्वामी नाम ‘श्री स्वामी समर्थ’ हे महाराजांचे नाव नाही,
तर ब्रह्माण्डगस्तीय अद्वैत प्रकृती पुरुषात्मक तारक बीज मंत्र आहे.
ॐ नमः शिवाय, दूं दूर्गायै नमः,
श्री गुरुदेव दत्त हे ज्याप्रकारे षडाक्षरी तारक मंत्र आहेत,
अगदी त्याचप्रमाणे समानार्थी ‘श्री स्वामी समर्थ’ हाही सद्गुरु अनुग्रहीत तारक मंत्र आहे.
श्री म्हणजे स्वयं श्रीपादविराजित सद्गुरु भगवान दत्तात्रेय स्वामी महाराज.
स्वामी शब्दाची फोड केल्यास ‘स्वाः + मी’ अशी होते.
स्वाः म्हणजे भस्म करणे अथवा आत्म समर्पित करणे असा त्याचा अर्थ आहे आणि मी म्हणजे माझे अज्ञान,
अहं भाव, रिपु गण व ईर्ष्या.
अर्थात स्वामी म्हणजे माझा मी पणा स्वाः करा.
1. श्री
स्वयं श्रीपदाविराजीत सद्गुरु भगवान दत्तात्रेय स्वामी महाराज…!
2. स्वामी – स्वाः + मी
स्वाः म्हणजे भस्म करणे अथवा आत्म समर्पित करणे असा आहे.
मी म्हणजे माझे अज्ञान, अहं भाव, रिपु गण व ईच्छ्या…!
अर्थात स्वामी म्हणजे माझा मी पणा स्वाः करा.
3. समर्थ
समर्थ म्हणजे संसाररुपी भवसागर सहज तारुण येण्यासाठी माझे स्वयंभु शिवत्व जागृत करा…!
त्यायोगे ‘श्री स्वामी समर्थ’ म्हणजे श्रीपदविराजित भगवान दत्तात्रेय स्वामी महाराज माझे मीपण भस्म करुन स्वयंभु शिव तत्व सद्गुरुकृपे अंकित करा.
श्री स्वामी समर्थ कौन थे ? | Shri swami samarth koun the ?
श्री स्वामी समर्थ को अक्कलकोट स्वामी के रूप में माना जाता था यह दत्तात्रेय परंपरा के आध्यात्मिक गुरु माने जाते थे और यह महाराष्ट्र और कर्नाटक के विभिन्न राज्यों में एक व्यापारी के रूप में रहते थे वह 29 वी सदी के दौरान रहते थे।
श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ | Shri swami samarth mantra labh
अगर आप श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ को जानना चाहते हैं तो हमारे द्वारा बताए गए नीचे बिंदुओं को जरूर पढ़ें।
- जो व्यक्ति श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करता है उसे मनुष्य का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है उस व्यक्ति को किसी भी प्रकार की बीमारियां नहीं होती है।
- श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और उस व्यक्ति का दिमाग ठंडा और शांत रहता है इसीलिए श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।
- श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करने से लोगों का गुस्सा शांत हो जाता है जिस भी व्यक्ति को अधिक गुस्सा आता है उसे श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करना चाहिए और इस मंत्र का जाप आपको नियमित रूप से करना है।
- अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में सफलता को प्राप्त करना चाहता है तो उसे श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करना चाहिए।
- अगर किसी भी बच्चे की पढ़ाई अच्छी नहीं है और वह अपनी पढ़ाई को सुधारना चाहता है तो श्री स्वामी समर्थन मंत्र का जाप करना उसके लिए उचित होता है।
- श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करने से मनुष्य के जीवन में परिवर्तन आता है और उसका जीवन सुखमय बन जाता है।
- इस मंत्र का जाप करने से हम अन्य लोगों से मिलने वाली निराशा तथा उसके धोखे से बच सकते हैं।
- अगर आप अधिक परेशान है और कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करने से आप सभी कष्टों से मुक्त हो जाएंगे और आपके जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगे।
- अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन को सुखी बनाना चाहता है और अपने जीवन में हमेशा खुश रहना चाहता है तो उसके लिए उसे श्री स्वामी समर्थ मंत्र का जाप करना चाहिए क्योंकि यह एक बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है इसे नियमित रूप से करने से मनुष्य हमेशा सारे दुखों से दूर रहता है।
श्री स्वामी समर्थ विचार | श्री स्वामी समर्थ सुविचार
श्री स्वामी समर्थ महाराष्ट्र के अक्कलकोट संप्रदाय के महान संत थे. श्री स्वामी समर्थ 19वीं शताब्दी के महान संत माने जाते हैं. आज हम आप लोगों को इनके कुछ विचार नीचे बताएंगे जो आप को ध्यान से पढ़ना है।
- तू कर्म करत जा, फळाची अपेक्षा न करता अरे कर्म करणे हे तुझे कर्तव्य आहे आणि तुझ्या कर्माला योग्य ते फळ देणे ही माझी जबाबदारी आहे,
- अगर आपका भाग्य आपका साथ नहीं देता है. तो आपको मरना नहीं चाहिए. बल्कि अपने दम पर जीवन जीना चाहिए.
- जगण्याला धार आहे जीवनाला आधार आहे जेव्हा स्वामी समर्थ आपल्या सोबत आहे तेव्हा कशाचा भार आहे
- हमे हमारे जीवन के जो कर्तव्य है. वह पूर्ण करने चाहिए. उनको महत्व देना चाहिए. हमे जीवन में किसी भी संकट से डरना नहीं चाहिए. बल्कि संकट का सामना करना चाहिए.
- संकटं तुमच्यातली शक्ती आणि जिद्ध पाहण्यासाठीच येत असतात
- इंसान को जीवन की बीती हुई यादों को सोचकर रोना नहीं चाहिए. बल्कि भविष्य के बारे में सोचकर जीवन जीना चाहिए.
- “गरिबाला केलेले दान आणि सदगुरु स्वामीचे मुखात घेतलेले नाव कधी वाया जात नाही” – स्वामी समर्थ
- अगर आपको जीवन में ठोकर लगे तो हिम्मत नहीं हारनी चाहिए. हिम्मत से उसी रास्ते पर आगे च लना चाहिए.
- “उगाची भितोसी, भय हे पळू दे जवळी उभी स्वामी शक्ती कळू दे, जगी जन्म मृत्यू असे खेळ ज्यांचा नको घाबरु वू असे बाळ त्यांचा”
- जिस प्रकार हीरे से आभूषण का मूल्य बढ़ता हैं. उसी प्रकार अच्छे कर्म से व्यक्ति का मूल्य बढ़ता हैं.
- पहचान से मिला काम कम समय के लिए ही चलता है लेकिन काम से मिली पहचान जिन्दगी भर रहती है ।
- इंसान को अपने परेशानी भरे जीवन में भी खुशियां ढूंढनी चाहिए. भाग्य का चक्र हर जगह घूमता है. और आपके पापकर्म की गणना होती हैं.
- सफल होना चाहते हो तो फल की नहीं अपने कर्म की चिंता करनी होगी।
- उन लोगो पर ध्यान नहीं देना चाहिए. जिन्होंने आपके बुरे समय में आपका साथ नहीं दिया. बल्कि उन लोगो पर ध्यान देना चाहिए. जिन्होंने आपके बुरे समय में आपका साथ दिया. और आपको अच्छे समय में लेकर आए.
- मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न हो, रास्ता हमेशा पैरों के नीचे ही होता है।
- उस व्यक्ति की हमेशा सराहना करनी चाहिए. जो कभी भी वापस नहीं आता है. या फिर जो व्यक्ति आपके जीवन में आता है.
- “इंतजार करने वालों को केवल उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते है”
- इंसान को अपना लक्ष्य खुद तय करना चाहिए. फिर भले ही उस रास्ते पर कितनी भी मुश्किलें आए स्वामी ध्यान हमेशा आप पर हैं.
- “हार और जीत” हमारी सोच पर निर्भर है, मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत
- जीवन की राह एक दुर्गम, कठिन पर्वत घाट हैं.
- किरण चाहे सूर्य की हो या फिर आशा की जीवन के सभी अंधकार मिटा देती है
- कोई भी लक्ष्य पाना कितना भी मुश्किल क्यों न हो. लेकिन मन में जज्बा है. तो कुछ भी संभव हैं.
- कल के लिए सबसे अच्छी तैयारी यही है कि आज अच्छा करो
FAQ : श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ
स्वामी समर्थ किसका अवतार है?
स्वामी समर्थ का जन्म कब हुआ था?
स्वामी समर्थ क्यों प्रसिद्ध है?
निष्कर्ष
दोस्तों आज हमने आप लोगों को इस आर्टिकल के माध्यम से श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ बताया है और श्री स्वामी समर्थ के विचार भी बताए हैं इसके अलावा इस टॉपिक से जुड़ी अन्य जानकारी भी देने का प्रयास किया है तो हम उम्मीद करते हैं कि आज का हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा।
आशा करते हैं कि आपको हमारा यह श्री स्वामी समर्थ मंत्र जप लाभ और श्री स्वामी समर्थ विचार लेख अच्छा लगा होगा धन्यवाद