देवी स्तुति श्लोक | devi stuti shlok : दोस्तों मां दुर्गा को आदिशक्ति माना जाता है और इनके नौ रूप की पूजा नवरात्रि के दौरान की जाती है तथा कई प्रकार के देवी स्तुति श्लोक का जाप किया जाता है।
अगर आप मां दुर्गा के भक्त और दुर्गा मां की स्तुति आराधना या पूजा करते हैं आपको नौ रूपों की देवी स्तुति श्लोक करनी चाहिए। क्योंकि मां दुर्गा अपने भक्तों का हमेशा दुख दर्द दूर कर देती हैं और दुश्मनों को नाश करती हैं।
भारतीय हिंदू सनातन धर्म अनेकों देवी-देवताओं का वर्णन है जिसमें प्रमुख रूप से 3 देवी और 3 देवताओं का महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और उमा, रमा, ब्रह्माणी यह तीनों देवी और देवता इस सृष्टि के पालक संचालक और रक्षक हैं। परंतु मां दुर्गा को आदि शक्ति माना जाता है इसीलिए इन के नौ रूपों को सबसे अधिक धार्मिक मान्यताओं में पूजनीय माना जाता है।
- 1. मां दुर्गा की महिमा | Maa durga ki mahima
- 2. माँ दुर्गा के रूप | Maa durga ke roop
- 3. देवी स्तुति श्लोक | Devi stuti shlok
- 4. कुछ महत्वपूर्ण देवी स्तुति श्लोक
- 4.1. 1. सुख सुविधा वैभव प्राप्ति के लिए
- 4.2. 2. बाधाओं के अंत के लिए
- 4.3. 3. आर्थिक संकट के लिए
- 4.4. 4. आकर्षण के लिए
- 4.5. 5. संकटों से मुक्ति के लिए
- 4.6. 6. शक्ति प्राप्त करने के लिए
- 4.7. 7. रक्षा पाने के लिए
- 4.8. 8. आरोग्य और सौभाग्य के लिए
- 4.9. 9. भय नाश के लिए
- 4.10. 10. महामारी नाश के लिए
- 4.11. 11. सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए
- 4.12. 12. पाप नाश के लिए
- 5. FAQ : देवी स्तुति श्लोक
- 5.1. दुर्गा जी का मूल मंत्र क्या है ?
- 5.2. कलयुग में सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन से होते हैं ?
- 5.3. सबसे पुराना और शक्तिशाली मंत्र कौन है ?
- 6. निष्कर्ष
मां दुर्गा की महिमा | Maa durga ki mahima
मां दुर्गा के नौ रूपों के रूप में देवी स्तुति श्लोक का पाठ करने से आध्यात्मिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है व्यक्ति को सभी प्रकार से कल्याण में होता है हमारे अंदर एक अत्यधिक ऊर्जा का विस्तार होता है। मां दुर्गा को पार्वती जी का रूप माना जाता है उपनिषदों के अनुसार देवताओं की प्रार्थना करने पर मां पार्वती ने माता दुर्गा के रूप में अवतार लेकर असुरों का अंत किया।
ब्रह्मवैवर्त पुराण में मां दुर्गा के 16 नाम का वर्णन माना जाता है कि दुर्गेश राक्षस का वध करने के कारण इनका नाम तो होगा पड़ा था दुर्गा, नारायणी, ईशाना, विष्णुमाया, शिवा, सती, नित्या, सत्या, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अंबिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती, और सनातनी।
मां दुर्गा देवी की स्तुति श्लोक करने के लिए दुर्गा सप्तशती का भी पाठ किया जाता है ऐसे में दुर्गा सप्तशती में माता दुर्गा के कई नाम भी उजागर हुए हैं जिसमें से प्रमुख नाम ब्राह्मणी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नरसिंही, ऐन्द्री, शिवदूती, भीमादेवी, भ्रामरी, शाकम्भरी, आदिशक्ति, रक्तदन्तिका हैं।
मां दुर्गा समस्त प्रकार के कष्टों को हरने वाली कहा जाता है दुर्गा शब्द से देखा जाए तो इसका अर्थ आसुरी शक्तियों को नष्ट करने वाली शक्ति माना जाता है इसीलिए जब कोई भक्त मां दुर्गा की पूजा जाप करता है तो मां दुर्गा उसके सभी प्रकार के दुख-दर्द संकट का नाश कर देती हैं और हर तरफ से कल्याण करती हैं।
माँ दुर्गा के रूप | Maa durga ke roop
हिंदू सनातन धर्म के शास्त्रों में मां दुर्गा के नव रूप माने गए हैं और इन्हें शिवप्रिया तथा जगत जननी कहा जाता है नवरात्रि के दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है इसीलिए इन्हें नवदुर्गा को कहा जाता है आइए हम मां दुर्गा के नौ रूपों के नाम यहां बताते हैं :
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चन्द्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
नवरात्रि के दिनों में क्रमशः मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा किया जाता है इन 9 रूपों में सभी रूप अलग-अलग शक्तियों से भरपूर हैं ऐसे में जब हम मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं तो दुर्गा अपने नौ रूपों की अलग-अलग शक्तियों से हमें कल्याण करती हैं।
देवी स्तुति श्लोक | Devi stuti shlok
अगर आप मां दुर्गा के भक्त हैं और मां दुर्गा के लिए देवी स्तुति श्लोक के बारे में जानना चाहते हैं तो यहां पर मां की आराधना करने के लिए नीचे दिए गए श्लोक देवी स्तुति श्लोक है जो इस प्रकार हैं
या देवी सर्वभुतेशु विष्णु मयेति सद्बिता
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु बुद्धि रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै , नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु निद्रा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु क्षुधा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु छाया रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु सकती रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु त्रिसना रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु क्संती रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.
या देवी सर्वभुतेशु लज्जा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु शांति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु श्रद्धा रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु काँटी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु वृत्ति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु स्मृति रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु दया रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु तुस्ती रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.या देवी सर्वभुतेशु मत्री रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः.नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नम:।
नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम्॥रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धा˜यै नमो नम:।
ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नम:॥
कल्याण्यै प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नम:।
नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै ते नमो नम:॥
दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।
ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नम:॥
अतिसौम्यातिरौद्रायै नतास्तस्यै नमो नम:।
नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नम:॥या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
यादेवी सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
या देवी सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इन्द्रियाणामधिष्ठात्री भूतानां चाखिलेषु या।
भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नम:॥
चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत्।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
स्तुता सुरै: पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:॥या साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै-रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति न: सर्वापदो भक्ति विनम्रमूर्तिभि:॥
कुछ महत्वपूर्ण देवी स्तुति श्लोक
मां दुर्गा के कुछ महत्वपूर्ण देवी स्तुति श्लोक का जॉब करने से मां दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है क्योंकि मां दुर्गा अपने भक्तों को बच्चों की तरह प्रेम करती हैं यह मां दुर्गा देवी स्तुति श्लोक मंत्र के रूप में है।
1. सुख सुविधा वैभव प्राप्ति के लिए
यह देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को सभी प्रकार से सुख सुविधाएं वैभव संतान आदि प्राप्त हो जाते हैं।
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यंति न संशय॥
2. बाधाओं के अंत के लिए
इस बेबी इस लोक मंत्र का जाप करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति का कल्याण होता है।
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
3. आर्थिक संकट के लिए
किसी भी व्यक्ति को आर्थिक संकट बहुत अधिक है और वह हमेशा गरीबी से जूझ रहा है तो मां देवी के इन देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करें लाभ मिलेगा।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥
4. आकर्षण के लिए
अगर आप चाहते हैं कि हमेशा शारीरिक रूप से हमारे चमक बनी रहे शरीर पर तेज रहे तो इस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करें।
ॐ क्लींग ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती ही सा।
बलादाकृष्य मोहय महामाया प्रयच्छति।।
5. संकटों से मुक्ति के लिए
विभिन्न प्रकार के संकट और विपत्तियां व्यक्ति को परेशान कर देती है ऐसे में मां दुर्गा इस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करें
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥
6. शक्ति प्राप्त करने के लिए
आप शक्तिमान बनना चाहते हैं और अपने अंदर हमेशा एक नई ऊर्जा चाहते हैं तो मां दुर्गा के इस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करें।
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्ति भूते सनातनि।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तुते
7. रक्षा पाने के लिए
मां दुर्गा देवी से अपनी रक्षा के लिए नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें जो विभिन्न प्रकार के कष्टों को दूर करेंगे।
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
8. आरोग्य और सौभाग्य के लिए
जीवन में आरोग्य और सौभाग्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को मां दुर्गा देवी किस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करना चाहिए जिससे जीवन में कभी किसी प्रकार का स्वास्थ्य संबंधी विकार नहीं आएगा।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
9. भय नाश के लिए
अगर आपके अंदर की कोई किसी भी प्रकार का भय सताता रहता है तो आप मां दुर्गा देवी के इस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप करें जिससे आपके सभी प्रकार के भय समाप्त हो जाएंगे क्योंकि मां दुर्गा असुरों का नाश करने वाली है और आसुरी शक्तियों को विनाश करने वाली है।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।
भयेभ्याहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥
10. महामारी नाश के लिए
किसी भी प्रकार की महामारी से जबकि पीड़ित हो तो उस महामारी के नाश के लिए इस देवी स्तुति श्लोक मंत्र का जाप चाहिए
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते॥
11. सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिए
हर व्यक्ति की चाहत होती है कि उसकी पत्नी सर्वगुण संपन्न हो ऐसी स्थिति में आप अगर एक सुलक्षणा पत्नी की चाहत रखते हैं तो इस मंत्र का जाप करो।
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥
12. पाप नाश के लिए
जीवन में आपने अगर बहुत सारे पाप किए हैं और मुक्ति चाहते हैं तो मां दुर्गा के इस देवी स्तुति श्लोक का जाप करें।
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽन: सुतानिव॥
FAQ : देवी स्तुति श्लोक
दुर्गा जी का मूल मंत्र क्या है ?
कलयुग में सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन से होते हैं ?
सबसे पुराना और शक्तिशाली मंत्र कौन है ?
निष्कर्ष
अध्यात्मिक की दुनिया में मां दुर्गा की पूजा नवरात्रि के रूप में मनाई जाती है और इस दौरान कई प्रकार से देवी स्तुति श्लोक संस्कृत में जॉप किए जाते हैं हमारा यह आपको देवी स्तुति श्लोक के बारे में जानकारी देने के लिए लिखा गया है।