Maha mrityunjaya yantra benefits and placement in hindi ? महामृत्युंजय मंत्र एक रुद्र मंत्र कहा जाता है जो भगवान शंकर के तीसरे नेत्र की ओर इशारा करता त्रयंबकम मंत्र है ।इस मंत्र की कठोर साधना तपस्या करने से जीवन को नया आयाम मिलता है। इस मंत्र को वेदो का ह्रदय कहा जाता है इस मंत्र के साथ गायत्री मंत्र को भी सर्वोच्च मंत्र कहा जाता है यह दोनों मंत्र वेदो के महामंत्र कहलाते हैं। mahamrityunjay yantra kya hai ?
महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु को जीतने वाला मंत्र कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में भगवान शिव की पूजा के साथ साथ भगवान ब्रह्मा और विष्णु जी को प्रसन्न करने के लिए महामृत्युंजय जप किया जाता है। क्योंकि ब्रम्हाजी सृष्टि निर्माता हैं विष्णु जी पालक है तो शिवजी स्मारक हैं। इसलिए इस महा मृत्युंजय जाप के द्वारा तीनों देवताओं को प्रसन्न किया जाता है।
इस यंत्र की स्थापना करने से भगवान शिव के साथ संबंध बन जाता है और यदि किसी भी व्यक्ति की कुंडली में विभिन्न प्रकार के दोस्तो इसी यंत्र की स्थापना से उनका निवारण हो जाता है इसी यंत्र को प्रतिष्ठित करने से व्यक्ति दीर्घायु सुख समृद्धि से भरपूर स्वास्थ से निरोगी और आध्यात्मिक विकास होता है।
महामृत्युंजय यंत्र के क्या क्या लाभ है ? What is Mahamrityunjaya Mantra?
महामृत्युंजय यंत्र के स्थापित करने से किसी भी व्यक्ति को अनावश्यक दुर्घटना अकाल मृत्यु और प्राण घातक बीमारी का डर नहीं रह जाता है। यह एक उच्च कोटि का दार्शनिक पी यंत्र है जिसमें जीवन का संपूर्ण राज निहित होता है।
इस यंत्र की प्रतिष्ठा या स्थापना करने से व्यक्ति को बुद्धि विद्या यस और लक्ष्मी की अपार प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार का शारीरिक किया मानसिक कष्ट इस मंत्र की स्थापना से दूर हो जाता है यदि व्यक्ति किसी ही प्रकार की कानूनी विवादों में फ़सा है तो उसे इस महा मृत्युंजय यंत्र के जाप करने से मुक्त मिल जाती है।
व्यक्ति की कुंडली में यदि नाड़ी दोष भकूट दोष, मांगलिक दोष है तो यह इस यंत्र को स्थापना करें जिससे सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं।
इस मंत्र की विधिवत प्रतिष्ठा और सामना करने से धन वृद्धि यश वृद्धि प्राप्ति होती है।
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ध्यान रखने योग्य बातें –
- महामृत्युंजय यंत्र एक तांत्रिक प्रक्रिया पर आधारित है इसे बनाने के लिए रेखा गणित की प्रमेय निर्मेय,चतुर्भुज,त्रिकोण आकृतियां बनाकर बीज मंत्र लिखकर निर्माण किया जाता है इस बीज मंत्र को भोजपत्र कागज या किसी धातु की वस्तु पर लिखा जाता है।
- इस मंत्र को लिखने के लिए लाल चंदन की स्याही या बेल अथवा अनार की कलम का प्रयोग किया जाता है। इस यंत्र को स्थापित पिया धारण करने से नकारात्मक उर्जा नष्ट हो जाती है और सकारात्मक शक्ति का संचार होता है।
- महामृत्युंजय यंत्र को अपने सामने रखकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाने से लाभ प्राप्त होता है। महामृत्युंजय मंत्र को विधिवत शुद्ध करके प्राण प्रतिष्ठित कर की धारा करने से सभी प्रकार की बुरी ग्रह दशा समाप्त हो जाती हैं।
- इस मंत्र को घर में स्थापित करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी के द्वारा अभिमंत्रित करके सोमवार के दिन स्थापित करें।
महामृत्युंजय यंत्र स्थापना कैसे करे ? How to set Mahamrityunjaya Yantra?
इस मंत्र को सावन माह मैं किसी सोमवार के दिन स्थापित करने से सबसे ज्यादा लाभकारी होता है।इसके अलावा इस मंत्र को किसी भी सोमवार को स्थापित करवा सकते हैं।
स्थापना करने से पहले प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद भगवान शंकर की प्रतिमा के सामने यंत्र को स्थापित करें यंत्र के सामने घी का दीपक जलाएं और पंचामृत से यंत्र को नहलाये।
उसके बाद यंत्र पर चंदन, सफेद पुष्प और सफेद भोग लगाना चाहिए इसके बाद महामृत्युंजय मंत्र को 21 बार जाप करके यथा स्थान यंत्र को स्थापित करें इसी अंतर को साबित करने के बाद प्रतिदिन इसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए |
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महामृत्युजंय यंत्र का बीज मंत्र क्या है ? What is the seed mantra of Mahamrityunjaya Mantra?
ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ !!
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