पाताल भैरवी साधना कैसे होती है ? साधना विधि और पाताल भैरवी साधना मंत्र जाने Pataal bhairavi mantra

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Pataal bhairavi sadhna kaise kare ? पाताल भैरवी साधना कैसे होती है ? संसार में समस्त प्राणियों का जीवन तंत्र मंत्र की क्रिया प्रतिक्रिया पर चल रहा है। जीवन में होने वाली प्रत्येक घटना कभी भी सूचना देकर नहीं आती है क्योंकि इन घटनाओं को व्यक्ति के अंदर रोकने की सामर्थ्य नहीं होती है |

व्यक्ति के अंदर इतनी शक्ति नहीं होती है कि वह भविष्य की गति को पहचान सके और अपने लिए सतर्क रख सके| यदि समय चक्र अधीन हो जाए तो उसके लिए कुछ भी संभव नहीं है। Pataal devi ka mantra kya hota hai ? पाताल देवी का मंत्र क्या होता है ?

मानव मात्र को अपनी शक्तियों के विषय में जानने के लिए यह आवश्यक है कि वह विभिन्न प्रकार की साधनाओं को अपनाएं जिससे भविष्य का ज्ञान कर सके और समय चक्र में बदलाव कर सके। अनेक प्रकार की साधनाओं में अनेक प्रकार की शक्तियां छिपी हुई होती हैं | इन्हीं साधनों में एक साधना है पाताल भैरवी साधना

पाताल भैरवी साधना क्या होती है ? What is Patal Bhairavi Sadhana ?

पाताल भैरवी एक प्रकार की संघारक और विध्वंसकारी शक्ति है।  यह तीनों लोकों अर्थात स्वर्ग धरती और पाताल में विनाश के रूप में उपस्थित है । शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि भैरवी भगवान शिव की विनाशक प्रकृति के साथ संबंध रखती है साथ ही भैरवी शक्ति ज्ञान से परिपूर्ण होती है।

जब कोई साधक इस साधना को करता है तो वह इस पर डिपेंड करता है कि व्यक्ति का स्वभाव कैसा है । यदि साधक का स्वभाव तामसी प्रवृत्ति का है तो यह भैरवी शक्ति व्यक्ति को विध्वंसक तत्वों की ओर ले जाती है | यदि व्यक्ति क्रोध ईर्ष्या स्वार्थ मदिरा धूम्रपान जैसे गुण रखता है |

तो मनुष्य विनाश की ओर जाता है देवी का संबंध भी इन्हीं विध्वंसक तत्वों और प्रवृति से है। पाताल भैरवी कालरात्रि देवी के समान होती है जो विध्वंसक होते हुए भी उदार और नम्र होती है। पापी लोगों के लिए विनाशकारी है तो अच्छे लोगों के लिए अच्छी भी है।

काल भैरवी का संबंध काल भैरव से भी है जो जीवित तथा मृत व्यक्ति के दुष्कर्म के अनुसार दंड देती है देवी के उग्र भाव का दंड उन्हीं लोगों को भुगतना पड़ता है जो व्यक्ति दुष्ट प्रवृत्ति के हैं।

पाताल भैरवी को महाकाली चामुंडा देवी के बराबर माना जाता है जिसका घनिष्ठ संबंध शमशान भूमि अस्त्र-शस्त्र मृत शव तुम मांस कंकाल खप्पर मदिरापान धूम्रपान से है इस देवी के संबंध भूत प्रेत पिशाच डाकिनी भैरव कुत्ता आदि से है |  जो लोग दुष्ट प्रवृत्ति के हैं उनके सामने देवी प्रकट होकर उनका विनाश करती है।

पाताल भैरवी देवी एक प्रकार की विनाशक शक्ति हैं  देवी भव बंधन मुक्त करती है पाताल भैरवी की उपासना करने से सभी प्रकार के बंधन भय मिट जाते हैं इनकी उपासना से व्यक्ति को सफलता और धन लक्ष्मी प्राप्त होती है यह देवी अहंकार नाशक है। जब साधक भैरवी को प्रसन्न कर लेता है |

तो उसके अंदर के सभी प्रकार के अवगुण समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति एक सात्विक बन जाता है मंत्र जाप पूजा हवन आदि करने से देवी प्रसन्न हो जाती है।

पाताल देवी का स्वरूप कैसा होता है ? What is the nature of a goddess ?

भैरवी देवी लाल रंग के कपड़े पहनती हैं गले में मुंड की माला होती है और शरीर पर रक्त चंदन का लेप होता है अपने हाथों में जपमाला पुस्तक वर और अभय मुद्रा धारण करती है तथा कमल आसन पर विराजमान होती है |

इसके शरीर में उपस्थित मुंडमाला वर्णमाला है तथा रक्त चंदन रजोगुण से संपन्न सृष्टि की प्रक्रिया का प्रतीक है पुस्तक ब्रह्म विद्या का प्रतीक है तथा लाल वर्ण विमर्श का प्रतीक माना जाता है इसके त्रिनेत्र  वेदत्रयी हैं |

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शास्त्रों के अनुसार कहां जाता है कि से लेकर विसर्ग तक 16 वर्ण भैरव कहलाते हैं तथा क से क्ष तक के वर्ण योनि अथवा भैरवी कहे जाते हैं। भैरवी को योगेश्वरी रूप में उमा बतलाया जाता है।

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पाताल भैरवी साधना कैसे की जाती है ? What is spiritual practice ?

पाताल भैरवी साधना 40 दिन की होती है जो शमशान के अंदर चिता के ऊपर बैठकर की जाती है। इस साधना को त्रयोदशी या अमावस्या के दिन शुरुआत की जाती है | भक्तों को सफेद वस्त्र पहनकर उत्तर दिशा की ओर मुंह करके रुद्राक्ष की माला लेकर साधना करनी होती है तथा माथे पर दूर का तिलक लगाना आवश्यक होता है।

सफेद चावल बर्फी आधा किलो मांस था मदिरा भोग के रूप में दिया जाता है। सिद्धि के समय के अंदर अनेक प्रकार के डरावने दृश्य स्थापित होते हैं तथा अचानक भूमि फटना,ब्रह्मराक्षस तथा दैत्य, नरमुंड आदि दिखाई देते है। 40 वे दिन पाताल भैरवी आपके सामने भूमि फाड़कर प्रकट होती हैं और साधक को वचन देती है | इस दौरान साधक को किसी भी प्रकार का भय या डर नहीं रखना चाहिए।

पाताल भैरवी साधना मंत्र क्या होता है :

।। ॐ हसैं वर वरदाय मनोवांछितं सिद्धये ॐ ।।

यह साधना केवल एक सामान्य जानकारी है इसको करने से पहले किसी अच्छी गुरु का सानिध्य प्राप्त करना जरूरी है |  अन्यथा लेखक की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

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सभी तांत्रिक साधनाएं एवं क्रियाएँ सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से दी गई हैं, किसी के ऊपर दुरुपयोग न करें एवं साधना किसी गुरु के सानिध्य (संपर्क) में ही करे अन्यथा इसमें त्रुटि से होने वाले किसी भी नुकसान के जिम्मेदार आप स्वयं होंगे |

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