रामायण की 10 सर्वश्रेष्ठ चौपाई में छुपा हर सकंट का समाधान | रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

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रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | Ramayan ki sarvashreshtha chaupai : हेलो दोस्तों नमस्कार स्वागत है आपका हमारे आज के इस नए लेख में आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई के बारे में बताने वाले हैं इसके अलावा रामायण की अन्य जो भी बहुत ही प्रसिद्ध चौपाई हैं उनके बारे में भी बताएंगे वैसे तो आप सभी लोग जानते होंगे.

कि यह हिंदू धर्म में रामायण का विशिष्ट स्थान है हिंदू धर्म में रामायण को विशेष महत्व दिया जाता है यह कहानी है मर्यादा पुरुषोत्तम राम कि जिन्होंने मानव जीवन के धर्म का उदाहरण प्रस्तुत किया है राम चरित्र मानस चौपाई अर्थ सहित रामायण के रचयिता श्री महर्षि वाल्मीकि जी हैं.

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इस रामायण में आपको तुलसी जी की ढेर सारी चौपाइयां मिलेंगी अगर कोई भी मनुष्य रामायण की इन चौपाइयों को पड़ता है और उसका अर्थ समझ लेता है तो जान लीजिए उसका जीवन सफल हो जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि रामायण से ली गई सर्वश्रेष्ठ चौपाई का विधि विधान पूर्वक जाप करने से जीवन की विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं इसीलिए आज हम आप लोगों को इस लेख के माध्यम से रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई के बारे में बताने वाले हैं तो चलिए उस चौपाई के विषय में जानते हैं।

राम चरित मानस की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | Ram charit manas ki sarvashreshtha chaupai

दोस्तों वैसे आप सभी लोग जानते होंगे नहीं तो हिंदू धर्म के लोग तो अधिकतर या जानते होंगे कि रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी हैं रामायण में आपको तुलसीदास जी की ढेर सारी चौपाइयां मिलेंगे अगर आप में से किसी भी व्यक्ति ने रामायण की इन चौपाइयों को पढ़ लेता है और उसका अर्थ समझ लेता है.

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तो जान लीजिए उसका जीवन सफल हो जाता है अगर आप लोग में से किसी भी व्यक्ति ने रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई का विधि विधान पूर्वक जाप कर लेता है तो उसके जीवन की विभिन्न प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

रामायण की पहली चौपाई कौन सी है ? | Ramayan ki pehli chaupai kaun se hai ?

रामायण की पहली चौपाई बालकाण्ड से ली गई है।

मंगलाचरण वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि।

मङ्गलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ।।।।

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई | Ramayan ki sarvashreshtha chaupai

Ramayan

पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥
मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥॥

भावार्थ- आज मैं देवी सरस्वती और देवनदी गंगाजी की वंदना करती हूं दोनों देवियां पवित्र और मनोहर चरणों वाली एक गंगा जी स्नान करने वाली और जल पाने से पापों को भर्ती हैं और सरस्वती जी गुण और यश कहने और सुनने से अज्ञान का नाश करती हैं

जनकसुता जग जननि जानकी। अतिसय प्रिय करुनानिधान की॥
ताके जुग पद कमल मनावउँ। जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ॥।।

भावार्थ- राजा जनक की पुत्री, जगत् की माता और करुणा निधान श्री रामचन्द्रजी की प्रियतमा श्री जानकीजी के दोनों चरण कमलों को मैं मनाता हूँ, जिनकी कृपा से निर्मल बुद्धि पाऊँ॥॥

पुनि मन बचन कर्म रघुनायक। चरन कमल बंदउँ सब लायक॥
राजीवनयन धरें धनु सायक। भगत बिपति भंजन सुखदायक॥॥

भावार्थ- फिर मैं मन, वचन और कर्म से कमलनयन, धनुष-बाणधारी, भक्तों की विपत्ति का नाश करने और उन्हें सुख देने वाले भगवान श्री रघुनाथजी के सर्व समर्थ चरण कमलों की वन्दना करता हूँ॥॥

जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करहिं सब कोई॥
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया। तिनके ह्रदय बसहु रघुराया॥

कहेहु तात अस मोर प्रनामा। सब प्रकार प्रभु पूरनकामा॥
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी॥

भावार्थ- हे तात ! मेरा प्रणाम और आपसे निवेदन है – हे प्रभु! यद्यपि आप सब प्रकार से पूर्ण काम हैं तथापि दीन-दुःखियों पर दया करना आपका (प्रकृति) है,  हे नाथ ! आप मेरे भारी संकट को हर लीजिए

हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥

भावार्थ- हरि अनंत हैं (उनका कोई पार नहीं पा सकता) और उनकी कथा भी अनंत है। सब संत लोग उसे बहुत प्रकार से कहते-सुनते हैं। रामचंद्र के सुंदर चरित्र करोड़ों कल्पों में भी गाए नहीं जा सकते।

श्याम गात राजीव बिलोचन, दीन बंधु प्रणतारति मोचन।
अनुज जानकी सहित निरंतर, बसहु राम नृप मम उर अन्दर।।

भावार्थ- तुलसीदास जी कहते हैं कि हे श्रीरामचंद्रजी ! आप श्यामल शरीर, कमल के समान नेत्र वाले, दीनबंधु और संकट को हरने वाले हैं। हे राजा रामचंद्रजी आप निरंतर लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥॥

भावार्थ- जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है, वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझपर अपनी कृपा करे।।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा॥॥

भावार्थ- जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है,वही होगा। हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।॥॥

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी॥॥

भावार्थ- बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है, धैर्य, मित्र, पत्नी और धर्म।॥॥

आगें कह मृदु बचन बनाई।
पाछें अनहित मन कुटिलाई॥
जाकर चित अहि गति सम भाई।
अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई

भावार्थ- जो सामने तो बना-बनाकर कोमल वचन कहता है और पीठ-पीछे बुराई करता है तथा मन में कुटिलता रखता है- हे भाई! (इस तरह) जिसका मन साँप की चाल के समान टेढ़ा है, ऐसे कुमित्र को तो त्यागने में ही भलाई है

सेवक सठ नृप कृपन कुनारी।
कपटी मित्र सूल सम चारी॥
सखा सोच त्यागहु बल मोरें।
सब बिधि घटब काज मैं तोरें॥॥

भावार्थ:- मूर्ख सेवक, कंजूस राजा, कुलटा स्त्री और कपटी मित्र- ये चारों शूल के समान पीड़ा देने वाले हैं। हे सखा! मेरे बल पर अब तुम चिंता छोड़ दो। मैं सब प्रकार से तुम्हारे काम आऊँगा (तुम्हारी सहायता करूँगा)॥5॥

जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

भावार्थ:- सत्य को कोई छिपा नही सकता, सत्य का सूर्य उदय जरुर होता है।

हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥॥

भावार्थ:- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।॥5॥

मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी

भावार्थ:- जो मंगल करने वाले और अमंगल हो दूर करने वाले है, वो दशरथ नंदन श्री राम है वो मुझ पर अपनी कृपा करे।

होइहि सोइ जो राम रचि राखा।
को करि तर्क बढ़ावै साखा

भावार्थ- जो भगवान श्री राम ने पहले से ही रच रखा है,वही होगा। हम्हारे कुछ करने से वो बदल नही सकता।

हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी

भावार्थ:- बुरे समय में यह चार चीजे हमेशा परखी जाती है, धैर्य, मित्र, पत्नी और धर्म।

जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू

भावार्थ- सत्य को कोई छिपा नही सकता, सत्य का सूर्य उदय जरुर होता है।

हो, जाकी रही भावना जैसी
प्रभु मूरति देखी तिन तैसी

भावार्थ- जिनकी जैसी प्रभु के लिए भावना है उन्हें प्रभु उसकी रूप में दिखाई देते है।

रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई

भावार्थ:- रघुकुल परम्परा में हमेशा वचनों को प्राणों से ज्यादा महत्व दिया गया है।

सो धन धन्य प्रथम गति जाकी।

धन्य पुन्य रत मति सोई पाकी॥
धन्य घरी सोई जब सतसंगा।

धन्य जन्म द्विज भगति अभंगा॥

धीरज धर्म मित्र अरु नारी।

आपद काल परिखिअहिं चारी॥

जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू।

सो तेहि मिलइ न कछु संहेहू।।

जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी।।

रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई

हरी अनंत हरी कथा अनंता आ आ
कहहि सुनहि बहु बिधि सब संता

रामायण की 11 मनोकामना पूर्ति चौपाइयां | Ramayan ki 11 manokaamnaa poorti chaupaiyan

Ramayan

1. सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए

अगर आप लोग संपत्ति की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए रामायण की इस चौपाई को पढ़ना चाहिए अगर आप लोग रामायण की इस चौपाई को अपने जीवन में उतार लेते हैं तो आपका जीवन सफल हो जाता है और आपको संपत्ति की प्राप्ति हो जाती है।

जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।

2. धन लक्ष्मी माँ की कृपा के लिए

अगर आप लोग अपने घर में धन की प्राप्ति करना चाहते हैं आप चाहते हैं कि माता लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहे तो आपको इसके लिए रामायण की इस चौपाई का प्रयोग करना चाहिए इस चौपाई को अपने जीवन में उतार लेने से आपको कभी भी धन की कमी नहीं होगी और माता लक्ष्मी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बनी रहेगी।

जिमि सरिता सागर मंहु जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।

3. आनंद की प्राप्ति के लिए

अगर आप अपने जीवन में सुख समृद्धि और आनंद की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको इसके लिए रामायण में दी गई इस चौपाई का पाठ करना चाहिए ऐसा कहा जाता है कि रामायण की इस चौपाई का पाठ करने से आपके जीवन में आनंद की प्राप्ति होती है।

सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।
लहहि भगति गति संपति नई।।

4. विद्या प्राप्ति के लिए

दोस्तों अगर आप लोग विद्या की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आपको इसके लिए रामायण की इस चौपाई का पाठ करना चाहिए अगर आप लोग अपने जीवन में रामायण की इस चौपाई को उतार लेते हैं तो आपको अवश्य ही विद्या की प्राप्ति होती है।

गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब आई।।

5. ज्ञान प्राप्ति के लिए

अगर आप लोग ज्ञान की प्राप्ति करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको रामायण की इस चौपाई को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए ऐसा करने से आप अवश्य ही ज्ञान की प्राप्ति कर पाएंगे।

छिति जल पावक गगन समीरा।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।

6. प्रीति में वृद्धि के लिए

वैसे तो सभी लोगों को अपने जीवन में सुख समृद्धि शांति और प्रीति की वृद्धि चाहिए होती है ऐसे में अगर आप लोग रामायण की इस चौपाई को अपने जीवन में उतारते हैं तो आपको अवश्य ही प्रीति में वृद्धि मिलती है।

सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।

7. परीक्षा में सफलता के लिए

दोस्तों अधिकतर लोग भगवान के सामने ऐसा कहते रहते हैं कि हमारी परीक्षा सफल हो जाए तो हम आपको लड्डू चढ़ाएंगे या फिर ऐसा कुछ कहते हैं लेकिन अगर आप लोग पढ़ाई के साथ साथ परीक्षा की सफलता के लिए रामायण की इस चौपाई का पाठ करते हैं तो आपको अवश्य ही परीक्षा में सफलता प्राप्त होती है।

जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।

8. विपत्ति से रक्षा के लिए

दोस्तों अगर आप लोग विपत्ति सुरक्षा चाहते हैं तो आपको इसके लिए रामचरित्र मानस से ली गई इस चौपाई को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए।

राजिव नयन धरैधनु सायक।
भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।

9. संकट से रक्षा के लिए

अगर आप लोग किसी भी संकट को अपने आसपास भटकने नहीं देना चाहते हैं और आप चाहते हैं कि कोई भी संकट आपके परिवार के ऊपर या फिर आपके ऊपर ना आए तो इसके लिए आपको रामायण से ली गई इस चौपाई का जाप करना चाहिए इससे आप अवश्य ही संकट से रक्षा कर पाएंगे।

जौं प्रभु दीन दयाल कहावा।
आरतिहरन बेद जसु गावा।।
जपहि नामु जन आरत भारी।
मिंटहि कुसंकट होहि सुखारी।।

10. विघ्न विनाश के लिए

अगर आप लोग किसी भी विघ्न को नष्ट करना चाहते हैं आप चाहते हैं कि आपके कार्य में किसी भी तरह का विघ्न उत्पन्न ना हो तो उसके लिए आपको रामायण से ली गई इस चौपाई को अपने जीवन में उतार लेना चाहिए ताकि आप किसी भी कार्य को करने से पहले क्या बिल्कुल भी ना सोचे कि इस कार्य में कोई भी विघ्न उत्पन्न हो सकता है।

सकल विघ्न व्यापहि नहिं तेही।
राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।

FAQ : रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई

रामायण किसने लिखी है ?

वैसे हम आप लोगों को बता दें कि रामायण को गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखी है।

रामायण मे कूल कितने काण्ड है ?

क्या आप लोग या जानना चाहते हैं कि रामायण में कुल कितने खंड होते हैं तो हम आप लोगों को बता दें कि रामायण में कुल 7 काण्ड होते हैं जो निम्नलिखित हैं। 1. बालकाण्ड 2. अयोध्याकाण्ड 3. अरण्यकाण्ड 4. किष्किन्धाकाण्ड 5. सुन्दरकाण्ड 6. लंकाकाण्ड (युद्धकाण्ड) 7. उत्तरकाण्ड 

रामायण की 8 चौपाई कौन सी है?

वैसे तो रामायण की बहुत सी चौपाइयां है उनमें से एक इस प्रकार है। श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।

निष्कर्ष

दोस्तों जैसा कि आज हमने आप लोगों को इस लेख के माध्यम से रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाई के बारे में बताया इसके अलावा रामायण की 11 ऐसी चौपाई जिनसे सारी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है उनके बारे में भी बताया है अगर आपने हमारे इस लेख को अच्छे से पढ़ा है.

तो आपको उन चौपाइयों के बारे में जानकारी अवश्य प्राप्त हो गई होगी उम्मीद करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और आपके लिए उपयोगी भी साबित हुई होगी।

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