पशुपति व्रत की सामग्री | Pashupati Vrat ki samagri : दोस्तों नमस्कार आज मैं इस लेख में पशुपति व्रत की सामग्री टॉपिक से संबंधित जानकारी आप लोगों को प्रदान करने की पूरी कोशिश करूंगी जिसमें मैं आप लोगों को बताऊंगी पशुपति व्रत करने में कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है, इसी जानकारी के साथ साथ यहां पर पशुपति व्रत करने की संपूर्ण विधि , नियम और इस व्रत को करने से प्राप्त होने वाले लाभ जैसी महत्वपूर्ण जानकारी बताने का प्रयत्न करेंगे.
ताकि जो लोग पशुपति व्रत को पहली बार करने की सोच रहे हैं तो उन लोगों को इस व्रत से संबंधित सारी जानकारी विधिवत तरीके से प्राप्त हो सके पशुपति व्रत की सामग्री जानकारी देने से पहले हम आप लोगों को बता देना चाहते हैं कि पशुपति व्रत त्रिलोचन जिन्हें भगवान शंकर के नाम से जाना जाता है.
उनका व्रत है यानी कि यह व्रत उनके पशुपतिनाथ के नाम से रखा जाता है इस व्रत को तब किया जाता है जब आप तमाम तरह की समस्याओं से घिर हुए होते है और उन समस्याओं से निकलने के लिए आपको कोई भी रास्ता नजर नहीं आता है ऐसी परिस्थिति में आप पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पशुपति व्रत विधिवत तरीके से करें.
तो निश्चित ही 5 सोमवार व्रत करने के पश्चात आपके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का निवारण हो जाएगा क्योंकि पशुपति व्रत को विधिवत तरीके से करने पर भगवान शिव के साथ – साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है और जिस व्यक्ति को माता पार्वती और शिव भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो उस व्यक्ति का जीवन सुख – शांति , समृद्धि , यश , वैभव , मान – सम्मान आदि से परिपूर्ण हो जाता है.
तो चलिए मित्रों हम आप लोगों को पशुपति व्रत से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत करवा देते हैं लेकिन कृपया करके इस व्रत से संबंधित सारी जानकारी प्राप्त करने हेतु आप लोग इस लेख को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें.
- 1. पशुपति व्रत की सामग्री | Pashupati Vrat ki samagri
- 2. पशुपति व्रत की शुरुआत कब (या किस दिन से) करनी चाहिए ? | Pashupati Vrat ki shuruaat kab ya FIR kis din Karni chahiye ?
- 3. पशुपति व्रत में क्या खाना चाहिए ? | Pashupati Vrat mein kya khana chahiye ?
- 4. पशुपति व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ? | Pashupati Vrat mein kya Nahi khana chahiye ?
- 5. पशुपति व्रत कितने दिन तक करना चाहिए ? | Pashupati kitne din tak karna chahiye ?
- 6. पशुपति व्रत के नियम | Pashupati Vrat ke Niyam
- 7. पशुपति व्रत को करने की संपूर्ण विधि | Pashupati Vrat ko karne ki sampurn vidhi
- 8. पशुपति व्रत करने के लाभ | Pashupati Vrat karne ke Labh
- 9. FAQ : पशुपति व्रत की सामग्री
- 9.1. पशुपति व्रत की शाम की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
- 9.2. पशुपति व्रत की थाली में क्या क्या रखते हैं?
- 9.3. शाम को घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?
- 10. निष्कर्ष
पशुपति व्रत की सामग्री | Pashupati Vrat ki samagri
पशुपति व्रत भगवान शिव का व्रत है इस व्रत को करने में उपयोग में ली जाने वाली सभी व्रत सामग्री को नीचे एक क्रम बताया जा रहा है जैसे,
- धूप
- दीप
- चंदन
- लाल चंदन
- बेल पत्र
- पुष्प
- फल
- अक्षत
- भगवान शिव के अभिषेक के लिए शुद्ध गंगाजल
- कलश
- भोग लगाने के खीर या हलवा
- आरती के लिए कपूर ,शुद्ध देसी घी ,या फिर सरसों का तेल आदि सामग्री की आवश्यकता होती है.
पशुपति व्रत की शुरुआत कब (या किस दिन से) करनी चाहिए ? | Pashupati Vrat ki shuruaat kab ya FIR kis din Karni chahiye ?
शास्त्रों में बताया गया है पशुपति व्रत को प्रत्येक माह में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष तिथि को शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा किसी भी सोमवार के दिन से इस व्रत को शुरू कर सकते हैं क्योंकि यह व्रत भगवान शिव का हैं जिन्हें सप्ताह के किसी भी सोमवार दिन से शुरू किया जा सकता है इसीलिए आप सोमवार के दिन से भी इस व्रत की शुरुआत कर सकते हैं.
पशुपति व्रत में क्या खाना चाहिए ? | Pashupati Vrat mein kya khana chahiye ?
पशुपति व्रत में व्रत करने वाले जातक जातिक का फल, चूरमा ,कटु आटे का हलवा , साबूदाने की खीर , मुनक्के की खीर इन सब का सेवन कर सकते हैं.
पशुपति व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए ? | Pashupati Vrat mein kya Nahi khana chahiye ?
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है पशुपति व्रत में अनाज का सेवन किया जा सकता है लेकिन मेरे हिसाब से अगर आप पशुपति व्रत में अनाज का सेवन ना करें तो ज्यादा बेहतर है क्योंकि व्रत – व्रत होता है अगर आप कोई भी व्रत करते हैं तो उसमें खाना भी खा रहे हैं तो फिर वह व्रत नहीं रह जाता है इसीलिए मेरे अनुकूल अगर आप पशुपति व्रत करते हैं तो इसमें अनाज का सेवन ना करें और दही बिलकुल भी न खाए .
पशुपति व्रत कितने दिन तक करना चाहिए ? | Pashupati kitne din tak karna chahiye ?
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है पशुपति व्रत को 5 सोमवार लगातार करना चाहिए, आखिरी सोमवार को व्रत का उद्यापन करके व्रत को पूर्ण करना चाहिए.
पशुपति व्रत के नियम | Pashupati Vrat ke Niyam
शास्त्रों में पशुपति व्रत करने के कुछ प्रमुख नियम बनाए गए हैं पशुपति व्रत करते समय नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है, वह सभी प्रकार के नियम नीचे क्रम से दर्शाये जा रहे हैं जैसे,
- पशुपति व्रत की शुरुआत सोमवार के दिन से करें.
- पशुपति व्रत में मांस मछली तंबाकू, गुटखा , स्त्री संग संभोग इन सबसे दूरी रहना चाहिए.
- पशुपति व्रत में सुबह शाम दोनो टाइम विधिवत रूप से पशुपति जी की पूजा अवश्य करें.
- पशुपति व्रत करते समय अपने मन में किसी का भी अहित करने के विषय में न सोचें.
- पशुपति व्रत में व्रत की सारी सामग्री इकट्ठा करने के पश्चात ही व्रत की शुरुआत करें.
- पशुपति व्रत को करने से पहले इस व्रत को पूर्ण करने का संकल्प अवश्य लें.
- पशुपति व्रत में जल से भगवान शिव का अभिषेक अवश्य करें.
तो दोस्तों यही कुछ प्रमुख नियम है अगर आप इन नियमों का पालन करके पशुपति व्रत को करते हैं तो आप इस व्रत से प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभ हासिल कर सकते हैं.
पशुपति व्रत को करने की संपूर्ण विधि | Pashupati Vrat ko karne ki sampurn vidhi
पशुपति व्रत को करने की विधि बहुत ही सरल है लेकिन जिन लोगों ने कभी भी पशुपति व्रत नहीं किया है तो उन लोगों के मन में यह प्रश्न उढ़ता है कि इस व्रत को कैसे करना चाहिए इसीलिए मैं यहां पर पशुपति व्रत को करने की संपूर्ण विधि एक क्रम से बता रही हूं.
जिसे पढ़कर आप लोग पशुपति व्रत को आसानी से कर सकते हैं पशुपति व्रत को करने की संपूर्ण विधि कुछ इस प्रकार से है जैसे,
1. सोमवार के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
2. स्नान आदि से निवृत होकर पशुपति व्रत को करने की सारी सामग्री लेकर भगवान शिव के समक्ष पहुंच जाएं अगर आपके आसपास भगवान शिव का मंदिर नहीं है तो आप घर की उत्तर दिशा की तरफ भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित कर सकते हैं.
3. घर में भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करने के लिए पहले आप पूजा वाले स्थान को स्वच्छ जल से धोकर साफ करें फिर उस स्थान के सूख जाने पर आप उस स्थान पर मार्केट में मिलने वाली आबरी बिछाकर चौकी बना लें. चौकी बन जाने के बाद आप गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें उसके बाद उनके शरीर का पानी किसी साफ कपड़े से पोंछ दे उन्हें पूजा स्थान पर स्थापित कर दें.
4. भगवान शिव की फोटो या प्रतिमा स्थापित करने के बाद आप इनके समक्ष धूप , दीप जलाकर फल – फूल , अक्षत – पुष्प अर्पित कर दें.
5. भगवान शिव के समक्ष फल – फूल अर्पित करने के पश्चात अपने दाहिने हाथ में गंगा लेकर भगवान शिव से बोले हे प्रभु मैं अपनी इस समस्या आपकी जो भी समस्या हो उस समस्या को भगवान के समक्ष प्रस्तुत करते हुए.
कहे प्रभु मैं अपनी इस समस्या निवारण हेतु आपका व्रत करने का संकल्प लेता हूं और अगर मेरे व्रत में किसी भी प्रकार की भूल चूक हो तो उसे माफ करके मेरी पूजा को शिवकार करना इतना बोल कर आप अपने हाथ का जल किसी पात्र में रख दें.
6. पशुपति व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान शिव की आरती के लिए थाली में शुद्ध देसी घी का दीपक या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और लाल चंदन से पशुपति के रूप में भगवान शिव को तिलक करें.
7. भगवान शिव को तिलक करने के बाद इनकी आरती प्रारंभ कर दें.
8. भगवान शिव की संपूर्ण आरती उच्च एवं स्पष्ट शब्दों में करें.
9. भगवान शिव की आरती पूर्ण हो जाने के बाद आप आरती की थाल को उनकी प्रतिमा के समक्ष रख दें उसके बाद पशुपति भगवान जी के सामने हाथ जोड़कर पूजा में हुई भूल चूक लिए क्षमा याचना मांगते हुए आपकी जो भी समस्या है उस समस्या को भगवान के समक्ष प्रस्तुत करते हुए उस समस्या से बाहर निकलने के लिए भगवान से अपने शब्दों में प्रार्थना करें.
10. इतनी प्रक्रिया के बाद पशुपति व्रत में पूजा के सुबह के टाइम की जाने वाली पूजा पूर्ण हो जाती है .
11. सुबह के टाइम की पूजा करने के बाद आप दोपहर में फलों का सेवन कर सकते हैं.
12. दोपहर के बाद जब शाम का टाइम आए यानी कि सूर्यास्त का समय हो उस समय आप फिर से इसी तरह से भगवान पशुपति नाथ जी की पूजा अर्चना करें उनकी आरती करें इनको खीर का 3 हिस्सों में भोग लगाएं उनके सामने 6 देशी घी या सरसों के तेल के दीपक अवश्य जलाएं. उसके बाद जब पूजा संपन्न हो जाए 6 दीपक में से एक दीपक और 3 भोग हिस्सों में से एक भोग का हिस्सा अपने साथ घर ले आए और दीपक को घर की चौखट पर रख दे फिर प्रसाद सभी घर के लोगों में अर्पित करें और खुद उस प्रसाद को ग्रहण करके पशुपति व्रत को सफल करें.
13. इस व्रत को पांच सोमवार इसी विधि के द्वारा करें तो आप सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्त हो जाएंगे और आपका मानव जीवन सरल एवं सुखमय बनेगा,लेकिन आखिरी सोमवार को व्रत उद्यापन करना होगा. इसके लिए आप जल वाला नारियल लेकर उसपे कलावा लपेटकर भगवान शिव के समक्ष अर्पित करें और 180 बेलपत्र या चावल अर्पित करें और हो सके तो ब्राह्मण को भोजन भी कराएं तो बहुत सौभाग्य की बात होगी.
14. इतनी प्रक्रिया के बाद पशुपति व्रत पूर्ण होता है.
पशुपति व्रत करने के लाभ | Pashupati Vrat karne ke Labh
पशुपति व्रत की महिमा का बखान करते हुए शास्त्रों में बताया गया है जो भी व्यक्ति पशुपति व्रत को सच्ची भक्ति और श्रद्धा के साथ करता है तो उस व्यक्ति के जीवन में सभी प्रकार की समस्याएं भगवान शिव और माता पार्वती दूर करके उसे सुख – शांति समृद्धि प्रदान करती है, साथ में इस व्रत को करने वाले जातक को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं .
FAQ : पशुपति व्रत की सामग्री
पशुपति व्रत की शाम की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?
पशुपति व्रत की थाली में क्या क्या रखते हैं?
शाम को घंटी क्यों नहीं बजाना चाहिए?
निष्कर्ष
प्रिय मित्रों जैसा कि आज के इस लेख में हमने पशुपति व्रत की सामग्री टॉपिक से संबंधित जानकारी प्रदान की है जिसमें हमने पशुपति व्रत सामग्री जानकारी के साथ-साथ पशुपति व्रत से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी बताने का प्रयत्न किया है . अगर आप लोगों ने इस लेख को शुरू से अंत तक पढ़ा होगा तो आप सभी लोगों को पशुपति व्रत के विषय में सारी जानकारी एक विस्तार से प्राप्त हो गई होगी जिसे पढ़ने के बाद आप लोग पशुपति व्रत को विधिवत तरीके से करने में सक्षम हो सकते हैं .
तो मित्रों हम उम्मीद करते हैं आप लोगों को हमारे द्वारा बताई गई जानकारी पसंद आई होगी साथ में उपयोगी भी साबित हुई होगी.